वर्ष - 29
अंक - 42
10-10-2020


उत्तर प्रदेश के हाथरस व बलरामपुर में गैंगरेप व पीड़िताओं की मौत सहित यूपी में महिलाओं के साथ बलात्कार और हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ भाकपा(माले), माकपा, भाकपा व अन्य वाम दलों ने दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर संयुक्त रूप से राज्यव्यापी प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की. लखनऊ में हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के निकट प्रदर्शन कर रहे वाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इनमें शामिल थे – माकपा राज्य सचिव हीरालाल, भाकपा(माले) राज्य स्थायी समिति के सदस्य रमेश सिंह सेंगर व राज्य समिति के सदस्य आरएस मौर्य, मंजू (ऐपवा), मधु गर्ग (एडवा), राजीव कुमार (आरवाईए), चंद्रभान, मधुसूदन (ऐक्टू) व रवि मिश्रा (सीटू). पुलिस सभी को इको गार्डन ले गयी, जहां प्रदर्शनकारियों ने फिर से धरना शुरू कर दिया. शाम को सभी रिहा हुए.

राज्यव्यापी प्रदर्शन के माध्यम से सीएम के इस्तीफे के अलावा भाकपा(माले) व वाम दलों ने हाथरस और बलरामपुर की घटनाओं के दोषियों को कड़ी सजा देने तथा हाथरस की 19 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के शव का दाह संस्कार बिना परिवार वालों की सहमति के आधी रात को करने का आदेश देने वाले अधिकारियों, लड़की के पिता को धमकाने वाले डीएम और कार्रवाई में शिथिलता बरतने वाले एसपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की.

लखनऊ के अलावा, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, अयोध्या, रायबरेली, गोंडा, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, जालौन, मुरादाबाद, मथुरा व अन्य जिलों में भी संयुक्त प्रतिवाद कार्यक्रम हुए.

इसके पहले हाथरस पीड़िता की 29 सितंबर को मौत की खबर आने पर, भाकपा(माले) की राज्य इकाई ने लखनऊ में बयान जारी कर गैंगरेप व दरिंदों की नृशंसता की शिकार दलित लड़की की दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो जाने पर गहरा शोक व आक्रोश व्यक्त किया और महिलाओं पर हिंसा और खासकर दलित महिलाओं के साथ दरिंदगी की बढ़ती घटनाओं के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

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भाकपा(माले) ने कहा कि योगी सरकार के राजकाज व नीतियों से सवर्ण सामंती ताकतों और दबंगों के दिमाग सातवें आसमान पर हैं. ये ताकतें कमजोर वर्गों और विशेष रूप से दलितों पर हमलावर हैं. मुख्यमंत्री योगी की पुलिस का महिला हिंसा के मामलों में पुराना असंवेदनशील रवैया बरकरार है. बात जब दलित महिलाओं पर अत्याचार की हो, तो सुनवाई और कार्रवाई और भी मुश्किल है.

कहा कि जब प्रदेश और देश हाथरस की बेटी के साथ हुई हैवानियत व मौत का मातम मना रहा था, तभी बलरामपुर में एक और 22 वर्षीय दलित बेटी के साथ गैंगरेप व मौत की सामने आयी घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. इन दोनों घटनाओं में दलित महिलाओं को हवस व हैवानियत का निशाना बनाया गया है. जहां तक पूरे प्रदेश की बात है, तो खुद सरकारी रिकार्ड गवाह हैं कि दलित महिलाओं के साथ अपराध के मामले में योगी शासित उत्तर प्रदेश देशभर में अव्वल है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं.

हाथरस मामले में पुलिस व प्रशासन की भूमिका शक के दायरे में है. क्योंकि एफआईआर दर्ज करने से लेकर पीड़िता के शव को सुबह का इंतजार किये बिना रात के अंधेरे में और परिवार की अनुपस्थिति में जिस तरह पुलिस द्वारा खुद जला देने की जल्दबाजी की गई, उससे लगता है कि पहले तो लीपापोती की कोशिश हुई और फिर सबूतों को नष्ट कर दिया गया. सच सामने लाने के लिए न्यायिक जांच होनी चाहिए. अब वक्त मुख्यमंत्री से कानून व्यवस्था को ठीक करने की मांग करने का नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री व सरकार को ही अलविदा करने का है. बेटियों को बचाने के लिए योगी सरकार को हटाना होगा.

ऐपवा ने भी 29 सितंबर को हाथरस पीड़िता की मौत पर बनारस, लखीमपुर खीरी और देवरिया में त्वरित प्रतिवाद किया और मृतका को श्रद्धांजलि दी.

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