वर्ष - 29
अंक - 42
10-10-2020


विगत 8 अक्टूबर 2020 भाकपा(माले) नेताओं के पांच सदस्यीय दल ने बुलगढ़ी (हाथरस) कांड में मृतका के परिवार से भेंट की. दल ने पीड़ित परिवार को ढांढ़स बंधाया और पूरे प्रकरण की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश से जांच कराने व इस मामले में इंसाफ दिलाने की पीड़िता के परिजनों की मांग का समर्थन किया.

पार्टी राज्य कमेटी के सदस्य व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी नशीर शाह के नेतृत्व में टीम के सदस्यों ने बुधवार को बुलगढ़ी में मृतका की माता रामा देवी, पिता ओम प्रकाश, भाई सत्येंद्र, फूफा रामवीर और पास-पड़ोस के लोगों से भी मिल कर घटना की जानकारी ली और देर शाम रिपोर्ट राज्य सचिव को सौंप दी. भाकपा(माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने टीम के बुलगढ़ी दौरे की रिपोर्ट जारी की.

रिपोर्ट में कहा है कि मृतका के परिवार वालों में काफी भय व्याप्त है. परिवार गरीब है और उनकी गरीबी व आरोपी पक्ष की दबंगई के चलते प्रशासन ने घटना में शिथिलता बरतने से लेकर लीपापोती करने तक की कोशिश की है. न तो समय से रिपोर्ट दर्ज हुई और न ही तत्काल उचित इलाज दिया गया. इसके बाबजूद भी, अलीगढ़ के चिकित्सा अधिकारी ने चोट के निशान व रेप की वारदात होना बताया है.

इतना ही नहीं, परिवार की सहमति के बिना व उसकी अनुपस्थिति में देर रात प्रशासन ने पीड़िता का दाह संस्कार तक कर दिया. जिलाधिकारी ने पिता को न सिर्फ धमकाया, बल्कि परिजनों को लात तक मारी. मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में शुरुआत में विपक्ष के प्रतिनिधियों व मीडिया को परिवार वालों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई. पूरा गांव वैसे तो अभी भी पुलिस-पीएसी की छावनी बना हुआ है, पर आरोपी पक्ष अपनी गोलबंदी कर पीड़ित परिवार पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालने व डराने की कार्रवाई में लगा हुआ है. भाजपा नेतृत्व अभियुक्तों के पक्ष में खड़ा है. यह सारा कुछ सरकार के इशारे पर हो रहा है.

भाकपा(माले) राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार हाथरस कांड में अपनी नाकामियों पर खड़े हो रहे सवालों को दबाने के लिए सरकार को बदनाम करने की कथित अंतरराष्ट्रीय साजिश का ढोल पीट रही है और प्राथमिकी-दर-प्राथमिकी दर्ज कर रही है. इसी के तहत पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है. यह सरासर उत्पीड़न और लोगों का ध्यान भटकाने की कार्रवाई है. उन्होंने जनता से इस झांसे में न आने और हाथरस की पीड़िता को न्याय दिलाने की लड़ाई तेज करने का आह्वान किया.

उन्होंने टीम की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (अब निलंबित) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दंडित करने, दोषियों को कड़ी सजा देने, पीड़ित परिवार के सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करने, आरोपी पक्ष की गोलबंदी व पीड़ित पक्ष को डराने-धमकाने जैसी कार्रवाइयों पर रोक लगाने, घटना का विरोध करने वालों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने और हाथरस से लेकर बलरामपुर, भदोही, आजमगढ़ तक की घटनाओं में महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफा देने की मांग की.

टीम में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष नत्थीलाल पाठक, तारा सिंह, राकेश चौधरी, मनोज कुमार, सलीम खान, इंकलाबी नौजवान सभा के नेता अमन, विष्णु शर्मा भी शामिल थे. प्रशासन ने टीम को गांव से करीब एक किलोमीटर पहले रोक दिया और केवल पांच व्यक्तियों को पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दी.