वर्ष - 33
अंक - 8
20-02-2024

आरा व्यवहार न्यायालय द्वारा विगत 11 फरवरी 2024 को अगिआंव से भाकपा(माले) विधायक का. मनोज मंजिल सहित 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. बेशक, यह फैसला राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. 

विधानसभा चुनाव 2015 के ठीक पहले जेपी सिंह की हत्याकांड मामले में भाजपा के स्थानीय नेताओं के इशारे पर का. मनोज मंजिल और अन्य पार्टी नेताओं पर हत्या का झूठा मुकदमा थोप दिया गया था. उस घटना के कुछ दिन पहले पार्टी के स्थानीय नेता का. सतीश यादव की हत्या भाजपाइयों ने कर दी थी. उनके हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन दलित-गरीबों की लड़ाई लड़ने और सड़क पर स्कूल आंदोलन के चर्चित नेता मनोज मंजिल को एक गहरी साजिश के तहत फंसाकर सजा करवा दी गई. भाजपाई और इलाके की सामंती ताकतें मनोज मंजिल की बढ़ती लोकप्रियता से काफी घबराई हुई थीं.

एक तरफ जहां भाकपा(माले) नेताओं को सजा सुनाई गई, वहीं न्यायालय ने दलित-गरीबों के हत्यारों को लगातार बरी करने का काम किया है. यह जाहिर करता है कि बिहार में सत्ता बदलते ही भाजपाई अपने रंग में आ चुके हैं. हमें उनके इन मनसूबों को कामयाब नहीं होने देना होगा.

अपनी पहलकदमियों और दलित-गरीबों के प्रति अटूट समर्पण की वजह से मनोज मंजिल अपने इलाके में काफी लोकप्रिय थे. उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें अगिआंव विधानसभा सीट पर 62 प्रतिशत से अधिक मत मिले. उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी भाजपा-जदयू गठबंधन के उम्मीदवार 50 हजार से भी अधिक वोटों से पीछे रहे गए थे.

सभी 23 अभियुक्तों को एक ही प्रकार की - आजीवन कारावास की - सजा दी गई. न्यायालय द्वारा दोषी पाए गए लोगों में 90 साल के बुजुर्ग रामानंद प्रसाद भी शामिल हैं.

अन्य लोगों के नाम इस प्रकार हैं - गुड्डु चौधरी, चिन्ना राम, भरत राम, प्रभु चौधरी, रामाधार चौधरी, गब्बर चौधरी, जयकुमार यादव, नंदू यादव, चनरधन राय, नंद कुमार चौधरी, मनोज चौधरी, टनमन चौधरी, सर्वेश चौधरी, रोहित चौधरी, रविन्द्र चौधरी, शिवबाली चौधरी, रामबाली चौधरी, पवन चौधरी, प्रेम राम, त्रिलोकी राम और बबन चौधरी. इससे बड़ा न्यायिक जनसंहार और क्या हो सकता है?

का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा 

भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में दलित-गरीबों के कई जनसंहार हुए हैं. 60-60 लोगों की हत्या हुई है, लेकिन आज तक किसी एक अपराधी को भी सजा नहीं मिली. दूसरी ओर एक कथित हत्या के मामले में, जिसकी पुष्टि भी नहीं हुई है, हमारे युवा नेता व विधायक मनोज मंजिल सहित 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. भोजपुर में लंबे समय से भाजपा और सामंती ताकतें हमारे नेताओं को जेल भेजकर या जनसंहार रचाकर गरीबों के आंदोलन को रोक देने की कोशिशें करती रही हैं. इसी कोशिश में यह अन्याय हुआ है. बिहार इसका मुकम्मल जवाब देगा.

उन्होंने आगे कहा कि इस अन्याय का नया संदर्भ भी है. आज मोदी सरकार विरोध की हर आवाज को कुचल देने पर अमादा है. संसद से थोक भाव में विपक्ष के सांसदों का निलंबन हो जाता है. राहुल गांधी को संसद से बाहर करने की साजिश रची जाती है. हेमंत सोरेन को निशाने पर लिया जाता है. विपक्ष की हर पार्टी व हर धारा पर हमला हो रहा है. तिकड़म के आधार पर नीतीश कुमार ने बहुमत हासिल कर ली. राजद के तीन विधायकों को तोड़ा और भाजपा-जदयू के लोग आज अपने विधायकों को भी प्रताड़ित कर रहे हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में हमारे नेताओं पर भी हमला हुआ है. यह किसी एक पार्टी नहीं बल्कि लोकतंत्र व दलित-गरीबों की दावेदारी व सम्मान पर हमला है.

का. दीपंकर ने कहा कि आज के दौर में देश को मनोज मंजिल जैसे नेताओं की जरूरत है. उन्होंने अपने छात्र जीवन से लगातार एक के बाद आंदोलनों का नेतृत्व किया. शिक्षा के सवाल पर सड़क पर स्कूल आंदोलन चलाया. सीएए कानून में संशोधन के खिलाफ लड़ाई लड़ी. वे किसानों व खेत मजदूरों के आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे थे. एक ऐसे नौजवान दलित विधायक से भाजपा को डर है. वह संसद में या विधानसभा में इस तरह की आवाज नहीं चाहती. इस अन्यायपूर्ण फैसले का पूरे राज्य में विरोध हुआ है. भोजुपर में विरोध सप्ताह रखा गया है. हम हाइकोर्ट जाएंगे और सबसे बढ़कर जनता की अदालत है. इतने बड़े अन्याय का जनता जवाब देगी.

15 फरवरी को अगिआंव विधानसभा क्षेत्र के गड़हनी में भाकपा-माले का भोजपुर जिला स्तरीय कैडर कन्वेंशन आयोजित हुआ जिसे महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया. 

भाकपा-माले के जिला सचिव जवाहर लाल सिंह की अध्यक्षता और संचालन में आयोजित कन्वेंशन को पार्टी के राज्य सचिव का. कुणाल, तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, आरा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी युवा माले नेता राजू यादव, इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, ऐपवा जिला सचिव इंदु सिंह, आरवाइए के राज्य सचिव शिव प्रकाश रंजन, आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार और विधायक मनोज मंजिल की पत्नी शीला कुमारी ने भी संबोधित किया।

का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिना किसी साक्ष्य के विधायक मनोज मंजिल समेत हमारे 23 कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाना न्यायिक जनसंहार है. सरकार को लगा कि हमने भाकपा-माले के लोगों को झटका दे दिया. लेकिन, जब-जब हमें झटका देने की कोशिश हुई है तब तब जनता उनको और बड़ा झटका दे देती है. देश में विपक्षी नेताओं को जेल भेजने की साजिश चल रही है. भाजपा  के अभियान का हिस्सा है भोजपुर की यह घटना। 

उन्होंने कहा कि सामंती ताकतों और उनकी संरक्षक पार्टियों से भोजपुर की लड़ाई हमेशा से रही है. गरीबों की जब-जब राजनीतिक लड़ाई तेज हुई तब-तब बड़े-बड़े हमले हुए हैं। आज जब हमारी राष्ट्रीय पहचान बढ़ी है, हमारी पार्टी का गरीबों के बीच प्रभाव बढ़ा है तो जनता की सुख-दुख की लड़ाई लड़ने वाले हमारे नौजवान नेता मनोज मंजिल शासक-सामंती ताकतों के आंखों की किरकिरी बने हुए हैं और उन्हें फर्जी केस में सजा सुनाई गई है

उन्होंने कहा ‘हमने देखा है शासक वर्ग जब भी हमला किया है जनता ने उन्हें माकूल जवाब दिया है। अगिआंव से भाकपा-माले विधायक का. मनोज मंजिल सहित 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. जेल व दमन के जरिए दलितों-गरीबों की आवाज दबाई नहीं जा सकती. हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.’ 

उन्होंने कहा ‘एक तरफ जहां हमारे नेताओं को सजा सुनाई गई, वहीं न्यायालय ने दलित-गरीबों के हत्यारे को लगातार बरी करने का काम किया है. बिहार में सत्ता बदलते ही भाजपाई अपने रंग में आ चुके हैं, लेकिन उनके नापाक मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.’