वर्ष - 31
अंक - 9
26-02-2022

भाकपा(माले) के उच्चस्तरीय जांच दल ने किया दौरा

पुलिस बर्बरता के शिकार हुए गया जिले के बेलागंज प्रखंड अंतर्गत आढ़तपुर गांव का विगत 18 फरवरी 2022 (शुक्रवार) को भाकपा(माले) की एक राज्यस्तरीय जांच दल ने दौरा किया. जांच दल का नेतृत्व भाकपा(माले) के अरवल विधायक कामरेड महानंद सिंह, भाकपा(माले) के गया जिला सचिव निरंजन कुमार, ऐपवा नेता रीता वर्णवाल और इनौस के राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर ने कियो. जांच दल ने पुलिस बर्बरता के शिकार हुए ग्रामीणों, पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल में डाल दिये गये लोगों के परिजनों और घायल महिलाओं सहित पूरे गांव का मुआयना कर पुलिस ज्यादती का जायजा लिया.

मीडिया और गांववालों को संबोधित करते हुए विधायक महानंद सिंह ने कहा कि गया जिले का यह गांव न्याय के साथ विकास का ढ़ोंग रचनेवाली नीतीश सरकार की दमनकारी गरीब विरोधी नीतियों और पुलिस प्रशासन की बर्बरता का जीता-जागता उदाहरण है. सरकारी टेंडर की आड़ में स्थानीय ग्रामीणों की चिंताओं को दरकिनार कर बालू माफिया को लूट की खुली छूट देने के लिए पुलिस-प्रशासन और बालू माफिया के गठजोड़ ने इस जुल्म-ज्यादती को अंजाम दिया है. यह खेल पूरे बिहार में जारी है जिसे बिहार की जनता अब बर्दाश्त नहीं करेगी.

उन्होंने घटना की उच्चस्तरीय जांच करने, मेन के थानाध्यक्ष को तत्काल बर्खास्त करने और सभी दोषी पदाधिकारियों पर कारवाई करने की मांग करते हुए कहा कि भाकपा(माले) विधायक दल आगामी विधानसभा सत्र में सरकार को इस पर जवाब देने के लिए बाध्य करेगा.

ग्रामीणों ने बालू माफिया रामाश्रय शर्मा उर्फ पूरण शर्मा, कौशल शर्मा, हरेंद्र शर्मा, रिंकू शर्मा, जितेंद्र शर्मा, सुबोध शर्मा, मनीष शर्मा उर्फ भीम शर्मा, सौरभ शर्मा का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि पुलिस हमेशा उनकी मदद में खड़ी रहती है और ग्रामीणों की कुछ नहीं सुनती. ये सारे लोग आपराधिक छवि के हैं व पहले रणवीर सेना से जुड़े रहे हैं.

जांच दल में शामिल भाकपा(माले) जिला सचिव निरंजन कुमार ने कहा कि आढ़तपुर के लोग अवैध बालू उत्खनन से त्रस्त हैं. वे बालू माफिया के खिलाफ अपने गांव, खेती और आजीविका को बचाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे. प्रशासन दोनों पक्षों के साथ बातचीत के जरिये इस मामले का शांतिपूर्ण समाधान निकाल सकता था, मगर रणवीर सेना से जुड़े बालू माफियाओं के दवाब में पुलिस ने इस घटना को अंजाम दिया. जिला प्रशासन बालू माफिया की लठैती का काम कर रहा है.

भाकपा(माले) जांच दल ने आम ग्रामीणों को बालू माफिया और तस्कर के बतौर प्रचारित करने पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि उल्टे ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस के साथ स्थानीय बालू माफिया व उनके लोग भी पुलिस वर्दी पहन कर आये थे और गांव वालों पर जुल्म-ज्यादती कर रहे थे.

ऐपवा जिला सचिव रीता वर्णवाल ने कहा कि गांव की दर्जनों महिलाओं के शरीर पर चोट के निशान पुलिसिया जुल्म की कहानी बयां कर रहे हैं. महिलाओं ने जांच टीम के सदस्यों को अपने जख्म के निशान दिखाते हुए बताया कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने हमारे घरों में घुसकर हमें निर्दयतापूर्वक मारा-पीटा.

निशा देवी, लालमुनी देवी, लालती देवी सहित गांव की कई महिलाओं व अन्य ग्रामीणों ने जांच दल को अपनी आपबीती सुनाई. उन लोगों ने बताया कि अबोध बच्ची प्रियांशु कुमारी को पुलिस कर्मियों ने जमीन पर पटक दिया और शिवपति देवी नामक विकलांग महिला को भी नहीं बख्शा. जांच दल के सदस्यों ने गांव का मुआयना करते हुए लगभग आधा दर्जन घरों के दरवाजों-खिड़कियों, दोपहिया वाहनों और घरों में रखे बक्सा-आलमारी समेत कई घरेलू सामानों को क्षतिग्रस्त पाया. ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन ने बक्से तोड़कर जेवर व पैसे चुरा लिए.

ग्रामीण रामबालक यादव व गणेशी यादव ने बताया कि गांव के पास से बालू उठाव के लिए बालू घाट नहीं बनाने को लेकर 2015 से ही प्रशासन के साथ  लिखा-पढ़ी किया जा रहा है. ग्रामीणों के पास ऐसे आवेदनों की प्राप्ति रशीद भी उपलब्ध हैं. मगर खनन विभाग और जिला प्रशासन ने उनकी एक भी नहीं सुनी और बार-बार ग्रामीणों के ऊपर ही झूठे मुकदमे दर्ज किये. मेन थाना कांड संख्या 12/20 और 07/21 इसका उदाहरण है.

जांच दल में भाकपा(माले) के बेलागंज प्रखंड सचिव मुंद्रिका राम, ऐक्टू नेता रामचंद्र प्रसाद, आइसा नेता मो. शेरजहां, आमिर तुफैल खान, सोखेन्द्र यादव, रवि कुमार सहित अन्य लोग शामिल थे. घटना के विरोध में 19 फरवरी को जिले भर में प्रतिवाद दिवस मनाया गया व 21 फरवरी को बेलागंज बंद किया गया.

सरकारी टेंडर की आड़ में बालू माफिया-पुलिस गठजोड़ का परिणाम है आढ़तपुर की घटना
रणवीर सेना से जुड़े बालू माफिया और गया पुलिस की बर्बरता के शिकार हुए ग्रामीण
घटना के विरोध में 19 फरवरी को जिले भर में प्रतिवाद, 21 फरवरी को बेलागंज बंद
मेन थानाध्यक्ष की तत्काल बर्खास्तगी और सभी दोषी पदाधिकारियों पर कारवाई की मांग

Ahatpur is an example of Nitish government