मगध क्षेत्र में 1942 का आंदोलन संभवतः कुर्था में सबसे ज्यादा व्यापक और गहरा था. थाने पर तिरंगा लहराने के क्रम में कई युवाओं ने अपनी शहादत दी थी. आजादी के बाद भी शोषितों-वंचितों की लड़ाई लड़ने वाले जगदेव प्रसाद, वीरेंद्र विद्रोही तथा मंजू देवी जैसे क्रांतिकारियों व शहीदों की यह धरती साक्षी रही है.
महात्मा गांधी के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर शहीद श्याम बिहारी बेनीपुरी एवं आजादी के तमाम शहीदों की याद में – ‘आजादी के 75 साल : सपने और चुनौतियां’ विषय पर अभिलाषा उत्सव हॉल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का संचालन अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव व भाकपा-माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य डॉ. रामाधार सिंह ने किया. 1942 के शहीद वायजुजहक, यदुनंदन महतो, रामचरण यादव, प्रोफेसर रामप्यारे सिंह, श्याम बिहारी बेनीपुरी, पंडित यदुनंदन शर्मा, प्रो अब्दुल बारी, सत्यदेव शर्मा, कारू सिंह तथा उसी आंदोलन से जुड़े रहे त्रिवेणी शर्मा सुधाकर को श्रद्धांजलि दी गई. उसके पश्चात शहीदों के परिजनों को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.
परिचर्चा में अरवल विधायक महानंद सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार संविधान और इतिहास को बदलने की कुत्सित कोशिश कर रही है. महात्मा गांधा के स्थान पर नाथूराम गोडसे और जवाहरलाल नेहरू के स्थान पर सावरकर को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा की लाखों शहीदों के शहादत की कीमत पर आजादी मिली है. हमें इस आजादी, संविधान और भारत की साझी संस्कृति को बचाने के लिए सजग रहना होगा. उन्होंने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने पर आमदा है.
परिचर्चा में जनअभियान के कुमार परवेज व शिक्षाविद् राजकिशोर शर्मा ने भी भाग लिया. कहा कि पुराने गया जिला के जहानाबाद अनुमंडल के कुर्था में आजादी का आंदोलन काफी सशक्त तरीके से लड़ा गया था. पत्रकार जयप्रकाश सिंह ने शहीद श्याम बिहारी बेनीपुरी के साथी और अगस्त क्रांति में शामिल त्रिवेणी शर्मा के संस्मरण को साझा किया. उक्त वक्ताओं के अलावे चंदेश्वर सिंह, शिक्षक इसहाक अंसारी, सरपंच जमील अख्तर, बैजनाथ सिंह, अमीनुलहक, जमालुदीन अंसारी, नरेंद्र सिंह, जिला पार्षद महेश यादव, रंजन यादव, अवधेश यादव, ब्रज किशोर शर्मा, अनिल मिश्रा आदि भी कार्यक्रम में शामिल हुए.