काॅमरेड लक्ष्मणभाई छगनभाई वाडिया (उम्र 64 वर्ष) का विगत 12 अप्रैल 2021 को निधन हो गया. दक्षिण गुजरात के वारली आदिवासी समुदाय के एक जुझारू लोकप्रिय नेता थे. उनके पिता गरीब खेत मजूर थे, इसीलिए वे चौथी कक्ष से आगे नहीं पढ़ाई कर सके. बचपन से ही बंधुआ मजदूरी व खेत मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते रहे, अपने एक छोटे भाई को पढ़ाया जो आगे चलकर राष्ट्रीयकृत बैंक के ब्रांच मैनेजर बने.
80 के दशक में युवा वाडिया आदिवासियों पर सामंतों व भू-माफियों द्वारा होनेवाले अत्याचार व लूट के खिलाफ आदिवासी सेना में शामिल हो गए और उसके प्रमुख नेता बन गए. अपनी पुस्तैनी जमीन GIDS द्वारा कब्जा कर लेने के खिलाफ उन्होंने गुजरात सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और एक बड़ी जीत हासिल की. बाद में आदिवासी सेना के ज्यादातर प्रमुख नेता भाजपा में शामिल हो गए और वाडिया भी सन 2007 में भाकपा(माले) में शामिल हो गए.
2007 में वे उमरगांव विधानसभा से भाकपा(माले) की प्रत्याशी रहे. 2014 में उन्होंने वलसाड लोकसभा सीट से भाकपा(माले) प्रत्याशी के बतौर चुनाव लड़कर 9 हजार 700 वोट हासिल किए.
गुजरात राज्य लीडिंग टीम के प्रमुख जिम्मेदार काॅमरेड होने के साथ-साथ खेग्रामस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य तथा ऐक्टू के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य थे. उन्होंने गुजरात में दलितों पर हुए अत्याचार के खिलाफ आयोजित ‘उना मार्च में भी हिस्सा लिया था.
लगभग 4 दशकों से वे आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए भाजपा-कांग्रेस से जुड़े भू-माफियों से लगातार मोर्चा लेते रहे. इस दौर में उन पर अनगिनत बार जानलेवा हमले भी हुए, लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी.
उनका अचानक बीमारी से गुजर जाना पूरी पार्टी तथा उनको जाननेवाले तमाम लोगों के लिए बहुत ही दुखदायी हैं. लाल सलाम वाडिया भाई! आप हमेशा बहुत याद आएंगे.