भाकपा(माले) का आठवां सोनभद्र जिला सम्मेलन विगत 17-18 फरवरी 2021 को घोरावल तहसील के गुरेठ सामुदायिक भवन में संपन्न हुआ. सम्मेलन हाॅल कामरेड विनोद मिश्र तथा सम्मेलन मंच कामरेड शिव को समर्पित था. झंडोत्तोलन के बाद किसान आंदोलन के शहीदों व दिवंगत साथियों को दो मिनट मौन श्रद्धांजलि देने के साथ सम्मेलन की शुरूआत हुई.
सम्मेलव का उद्घाटन करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव ने कहा कि आज किसानों ने काले कृषि कानूनों को रद्द करने तथा एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने के लिए दिल्ली में भाजपा सरकार को घेर रखा है. देश के छात्र, नौजवान, मजदूर, बुद्धिजीवी तथा समाज के अन्य हिस्से उनके समर्थन में खड़े हैं. मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को एक-एक कर ने कारपोरेट घरानों को बेच रही है. उसकी नजर अब खेती की लूट पर लगी है. कृषि कानूनों के लागू होने के साथ ही अस्सी फीसदी जनता से सस्ता राशन छीन लिया जायेगा, किसान कारपोरेट घरानों की चाकरी के लिए मजबूर हो जायेंगे.
उन्होंने कहा कि मोदी-योगी सरकार संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट कर रही है व लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रही है. सोनांचल में आदिवासियों की हत्याएं हो रही हैं, उनको पुस्तैनी जमीनों से उजाडा जा रहा है. फर्जी मुठभेड़, हिरासत में हत्या और महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों का दमन उत्तर प्रदेश की पहचान बन गया है. इस तस्वीर को बदलने के लिए उन्होंने भाकपा(माले) को किसानों व आम गरीबों के स्थापित करने का आह्वान किया.
उद्घाटन सत्र को राज्य स्थायी समिति के सदस्य ओमप्रकाश सिंह, राज्य कमेटी सदस्य जीरा भारती, पर्यवेक्षक राधेश्याम मौर्य, एडवोकेट प्रभुसिंह, भाकपा जिला सचिव आरके शर्मा व माकपा जिला सचिव नंदलाल आर्या ने भी संबोधित किया. सम्मेलन में कुल 50 प्रतिनिधियों में 37 ने बहस में हिस्सा लिया. 13 सदस्यीय जिला कमेटी का चुनाव किया. का. सुरेश कोल सर्वसम्मति से जिला सचिव चुने गए.
जिला सम्मेलन ने जनद्रोही कृषि कानूनों को रद्द करने तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी करने की मांग का समर्थन और मोदी सरकार द्वारा ढाई महानों से जारी किसान आंदोलन को बदनाम करने व खंडित करने की साजिशों की निंदा करते हुए और कृषि कानूनों को रद्द करने; मोदी सरकार द्वारा किसान आंदोलन, नागरिकता आंदोलन और सरकार से असहमति रखने वाले कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों को देशद्रोह जैसे मामलों में फर्जी तौर फंसाकर जेल भेजने की कुत्सित कार्रवाइयों को तत्काल रोकने एवं उन्हें रिहा करने; मजदूर विरोधी नयी श्रम संहिताओं को रद्द करने और पुराने श्रम कानूनों को बहाल करने; कोरोना महामारी की आड़ में संविधान के संघीय ढांचे, लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने व नागरिक व जन अधिकारों को खत्म करने की साजिशों के विरुद्ध संघर्ष करने; योगी सरकार द्वारा दलित-आदिवासी, पिछड़े व मुस्लिम युवाओं को गलत तौर पर फंसाने व फर्जी मुठभेड़ में हत्याओं का पुरजोर विरोध करते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने; मुख्यमंत्री योगी के चार वर्षों के दौरान हुई मुठभेड़ हत्याओं की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराने; कोल, मुसहर, सियार, धांगर जैसी आदिवासी जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने; वनाधिकार कानून के तहत भूमि आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितता दूर करने, उक्त कानून की आड़ में आदिवासी गरीबों को उनकी पुश्तैनी जमीनों को बेदखल करने की साजिशों पर रोक लगाने तथा सभी का आवेदन स्वीकार करते हुए उन्हें उनके कब्जे की जमीनों का पट्टा देने; सर्वे सेटिलमेंट के जरिए आदिवासियों व गरीबों की जमीनों पर काबिज दबंगों की बेदखली के लिए संघर्ष तेज करने, दुद्धी को जिला बनाने की मांग का समर्थन करने एवं इस आंदोलन से एकताबद्ध होने; जिले में शुद्ध पेयजल, समुचित इलाज व शिक्षा के लिए आंदोलन तेज करने; मानव तस्करी, खासकर गरीब परिवारों की लड़कियों की ख्रीद-फरोख्त पर रोक लगाने तथा आइसा नेता नितिन राज व सोनभद्र के माले नेता कलीम की गिरफ्तारी व उत्पीड़न पर रोक लगाने और महिला हिंसा, बलात्कार, हत्या की बढ़ती घटनाओं और अपराधियों को सत्ताधारी पार्टी व उसके नेताओं को दिए जा रहे खुले संरक्षण के खिलाफ आंदोलन के राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए.