[भाकपा(माले) की पहल पर पहले सभी वाम दलों और फिर राजद व कांग्रेस को किसान आंदोलन के समर्थन में एकजुट कर 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर पूरे राज्य में मानव श्रृंखला बनाने की तैयारी चल रही है. इस बीच किसान आंदोलन को व्यापक बनाने और उसे गति देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं.]
किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 125वीं जयंती, 23 जनवरी 2021, को पूरे देश में आजाद हिंद किसान दिवस के रूप में मनाया गया. बिहार में भी इस अवसर पर विविध कार्यक्रम आयेजित हुए.
पटना में आइसा, इनौस, किसान महासभा और ऐक्टू की ओर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने व श्रद्धांजलि देने के बाद गांधी मैदान स्थित शहीद भगत सिंह चैक तक किसान-नौजवान-मजदूर एकजुटता मार्च निकाला गया और वहां एक सभा आयोजित की गई.
नवादा में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया.
सीतामढ़ी के गांधी मैदान में नेताजी सुभाषचंद्र बोस को श्रद्धांजलि देने के साथ धरना कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसे भाकपा(माले) नेता और इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष कानेयाज अहमद सिद्दीकी ने संबोधित किया.
मुजफ्फरपुर में आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) के बैनर से छात्र-युवाओं ने ‘किसान बचाओ, देश बचाओ छात्र-युवा मार्च’ निकाला और नेताजी के आजाद हिंद के सपनों को साकार करने के लिए संविधान बचाने-देश बचाने का संकल्प लिया. यह मार्च हरिसभा चौक स्थित भाकपा(माले) कार्यालय से निकल कर मुख्य मार्गों से गुजरते हुए कल्याणी चौक पहुंचा. मार्च में आइसा के राज्य पार्षद दीपक कुमार, विकेश कुमार, मो. शहनवाज, सौरभ कुमार, अजय कुमार, फैजान अख्तर, आरिफ जमाल, अविनाश कुमार, राहुल कुमार और इनौस नेता मयंक मोहन, नागेंद्र कुमार यादव, शफीकुर रहमान तथा इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे.
छात्र-नौजवानों ने कहा कि आज देश अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. देश की आजादी से हासिल संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला जारी है. मोदी सरकार कृषि, रेल, बैंक, शिक्षा सहित सारे उद्योग-धंधों और संसाधनों का तेजी से निजीकरण करने में जुटी है. फिर से कंपनी राज का खतरा मंडरा रहा है. किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन खेत-खेती के साथ देश की आजादी को बचाने के लिए भी जारी है. देश के छात्र-नौजवान किसान आंदोलन के साथ हैं.
मुजफ्फरपुर में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती को आजाद हिंद किसान दिवस के रूप में मनाया गया. इस अवसर पर मिठनपुरा स्थित शहीद जुब्बा सहनी स्मारक स्थल से शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल तक मार्च निकाल कर खेत-खेती को काॅरपोरेटों के हवाले करने पर रोक लगाने, काले कृषि कानूनों को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने, बिहार में सरकारी बाजार समिति व मंडी व्यवस्था बहाल करने की मांग पर जोर दिया गया. इस दौरान जारी किसान आंदोलन में अबतक शहीद हुए 141 किसानों को श्रद्धांजलि दी गई तथा किसान आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया गया.
किसानों के जुलूस में सोशलिस्ट नेता शाहिद कमाल, किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव नंदकिशोर शुक्ला, प्रो. अवधेश कुमार, खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय पार्षद शत्रुघ्न सहनी, किसान सभा के नेता चंद्रेश्वर चौधरी, एआईकेकेएमएस के राज्य सचिव लालबाबू महतो, किसान-मजदूर सभा के राज्य अध्यक्ष रामवृक्ष राम, एआईकेएमकेएस के नेता उदय चौधरी सहित किसान-मजदूर नेता होरिल राय, परशुराम पाठक, मनोज यादव, जिला पार्षद रूदल राम, ट्रेड यूनियन नेता सुरेश दास कनौजिया, मो. इदरीश, मो. युनूस, सुंदेश्वर सहनी, अब्दुल गफ्फार, किसान नेता मदन प्रसाद, काशीनाथ सहनी, राजू साह, अशोक ठाकुर, महेश चौधरी, तारकेश्वर चौधरी, राजकुमार राम, मो.इलियास, अवधेश पासवान, मिथुन कुमार, नरेश राय, अमोद पासवान तथा पीयूसीएल के सचिव अंकित आनंद, सामाजिक कार्यकर्ता अविनाश सांई सहित अन्य कार्यकर्ता व किसान-मजदूर शामिल थे.
मार्च के बाद कंपनी बाग के चौराहे पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी का पुतला दहन कर उड़ीसा से दिल्ली किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश से बस से गुजर रहे 500 किसानों के जत्थे को पुलिस-प्रशासन के द्वारा बार-बार रोकने, परेशान करने तथा प्रताड़ित करने की निंदा की गई. अंत में खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर किसान संगठनों ने बैठक कर गणतंत्र दिवस के मौके पर शहर में मोटर साइकिल जुलूस निकालने का निर्णय लिया.
बक्सर जिले के डुमरांव में नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद मार्च निकाला गया. भाकपा(माले) के गया और दरभंगा जिला कार्यालयों पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाते हुए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई.
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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग करने तथा दिल्ली बाॅर्डर पर जारी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के भाकपा(माले) के आह्वान का बिहार के कई श्याहरों व सैकड़ों कस्बों-गांवों में उत्साहपूर्वक पालन किया गया.
राजधानी पटना में जीपीओ गोलबंर से बुद्ध स्मृति पार्क तक कैंडल मार्च निकालकर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई. इसका नेतृत्व भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेन्द्र झा, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, राज्य सचिव शशि यादव व राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, भाकपा(माले) के नगर सचिव अभ्युदय, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, कोरस की समता राय, आइसा नेता विकास यादव, आकाश कश्यप, कार्तिक पासवान, भाकपा(माले) नेता मुर्तजा अली, इनौस नेता सुधीर कुमार, विनय कुमार, कर्मचारी नेता प्रेमचंद सिन्हा आदि ने की.
बुद्धा स्मृति पार्क में सैंकड़ों लोगों की सभा को संबोधित करते हुए का. धीरेन्द्र झा ने देश के संविधान व लोकतंत्र पर लगातार हो रहे हमले का विरोध करने और गणतंत्र की दावेदारी को फिर से बुलंद करने का आह्वान किया.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानून न केवल किसान विरोधी हैं, बल्कि पूरे देश के खिलाफ है. आज देश में आजादी की दूसरी लड़ाई आरंभ हो चुकी है. देश की जनता का यह जो नवजागरण है इसमें कारपोरेटपरस्त मोदी सरकार को जाना होगा. वक्ताओं ने 30 जनवरी को महागठबंधन के आह्वान पर आयोजित राज्यव्यापी मानव श्रृंखला को ऐतिहासिक बनाकर तानाशाह मोदी सरकार को सबक सिखाने का भी आह्वान किया.
भोजपुर जिले के तरारी, सहार, पीरो, अगिआंव, गड़हनी, चरपोखरी, संदेश, जगदीशपुर, उदवंतनगर, आरा नगर, आरा (मु.), कोइलवर, बड़हरा, बिहिया व शाहपुर प्रखंडों में दर्जनों गांवों-मुहल्लों में मशाल जुलूस निकाला गया. अन्य जिलों में भी मशाल जुलूस निकाला गया और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की गई.
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