बीएचयू में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के छात्रों द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी को बीएचयू में रैली निकाली जा रही थी. इस रैली में आइसा द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्रीय कृषि मंत्री और प्रधानमंत्री की तज्ञवीर फूंके जाने पर एबीवीपी के गुंडों ने छात्रों केे साथ मारपीट की. आइसा उप्र के राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने एबीवीपी की इस लंपटता और गुंडागिरी की निंदा करते और इस हमले को शर्मनाक बताते हुए कहा कि किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले छात्रों पर हमला करने वाले लोग कभी देश भक्त नहीं हो सकते. यह हमला सिर्फ आइसा पर नहीं है बल्कि किसानों पर भी है. हम जेएनयू, जामिया, एएमयू समेत शाहीनबाग आंदोलन और दिल्ली दंगों में भी संघ गिरोह द्वारा वीभत्स हिंसा देख चुके हैं. सत्ता की पूरी मशीनरी अपने फासिस्ट विचारधारा के तहत हर एक जनांदोलन को कुचलने के लिए तैयार बैठी है. इसके लिए वह जहां एक तरफ यूएपीए, एनएसए, यूपीएसएसएफ व अभी हाल में शिक्षा मंत्रालय द्वारा अंतराष्ट्रीय सेमिनार पर स्क्रूटनी लगाने जैसे दमनात्मक गाइडलाइन ला रही है. वहीं दूसरी तरफ अपने पुलिसिया आतंक, भगवा गिरोह के हिंसक गुंडों जैसी ताकत के माध्यम से भी आंदोलन को बदनाम करने, उन्माद फैलाने व सांप्रदायिक रंग देकर आंदोलनों को जनांदोलन में बदलने से रोकने की नाकाम कोशिश की है.
आइसा के राज्य सह सचिव व बीएचयू के छात्र विवेक कुमार सिंह ने कहा कि योगी-मोदी की यह फासिस्ट सरकार विपक्षहीन सत्ता चाहती है, इसलिए असहमति का दमन कर रही है. इसके तहत सीएए विरोधी आंदोलन में इलाहाबाद, बनारस व लखनऊ में आइसा नेताओं पर फर्जी मुकदमें लादकर जेल भेजा गया. लखनऊ में राज्य उपाध्यक्ष कामरेड नितिन राज की जमानत याचिका चार बार खारिज हो चुकी है और अब उच्च न्यायालय (खंडपीठ, लखनऊ) में मामला चला गया है. उन्होंने नितिन राज की अविलम्ब रिहा करने के साथ ही बीएचयू आइसा पर हमला करने वाले गुंडों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है.