पटना में महिला संगठनों के संयुक्त बैनर के तले मार्च का आयोजित किया गया और सभा की गई. विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि किसान आंदोलन में महिलाएं क्या कर रही हैं. आज का प्रतिवाद सुप्रीम कोर्ट के उसी आपत्तिजनक बयान के बाद निर्धारित हुआ था.
कारगिल चौक पर निकाले गए प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व संयुक्त रूप से ऐपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे व राष्ट्रीय सचिव सह राज्य सचिव शशि यादव, बिहार महिला समाज की राज्य महासचिव राजश्री किरण व पटना सचिव अनिता मिश्रा, ऐडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी व नेत्री सरिता पांडेय, नारी गुंजन की संयोजिका पद्मश्री सुधा वर्गीज, बिहार घरेलू कामगार यूनियन की सिस्टर लीमा, विमुक्ता स्त्री संगठन से आकांक्षा, ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन की राज्य सचिव अनामिका, एएसडब्लूएफ की आस्मां खान, इंसाफ मंच की नसरीन बानो, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) की राखी मेहता, चेतनालय (राजगीर) की लीना तथा चंद्रकांता, सुष्मिता, तबस्सुम आदि ने किया. मार्च में महिलाएं ‘मोदी सरकार मुर्दाबाद’, ‘काले कृषि कानून वापस लो’, ‘लोकतंत्र का गला घोंटना बंद करो’, ‘कंपनी राज नहीं चलेगा’, ‘तानाशाही मुर्दाबाद’ आदि नारे लगा रही थीं.
सभा को संबोधित करते हुए महिला नेताओं ने कहा कि पिछले 26 नवंबर 2020 से देश भर के किसान भयानक ठंड में दिल्ली को चारों ओर से घेरकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे इस आंदोलन में बड़ी संख्या मे महिलाएं भी शामिल हैं. इस क्रम में मानसा की एक महिला किसान समेत 70 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. फिर भी सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. उसे किसानों की बजाय अंबानी-अडानी की चिंता अधिक है. नेताओं ने कहा मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
ऐपवा नेत्री शोभा मंडल व आइसा नेत्री दृष्टि राज की अगुआई में आरा बस स्टैंड से महिला मार्च निकला. आरा-पटना बाईपास रोड स्थित तपेश्वर सिंह इंदु महिला काॅलेज के प्रांगण में सभा आयोजित करने के बाद इसका समापन हुआ. महिला मार्च में दर्जनों महिलाएं शामिल थीं जो केन्द्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों की वापस की मांग संबंधी नारे लगा रही थीं. जिले के सहार, जगदीशपुर, अगिआंव बाजार, संदेश में भी ऐपवा नेताओं की अगुआई में कार्यक्रम आयोजित हुए.
खेग्रामस व ऐपवा कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में मांगों से संबंधित नारे लिखे तख्तियां, झंडे, बैनर लहराते हुए राजधानी चौक स्थित ओम टाकीज से जुलूस निकालकर प्रखंड मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. ऐपवा जिलाध्यक्ष वंदना सिंह की अध्यक्षता व खेग्रामस प्रखंड अध्यक्ष प्रभात रंजन गुप्ता के संचालन में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा नेत्री वंदना सिंह, सोनिया देवी, अनीता देवी, नीलम देवी, रंग देवी, रजिया देवी ने मोदी सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेकर किसानों का आंदोलन समाप्त कराने की मांग की.
किसान विरोधी तीन कृषि कानून रद करो , कारपोरेट से यारी और किसानों का हकमारी नहीं चलेगी आदि नारों के साथ ऐपवा ने गौनाहा स्टेट बैंक के पास से विरोध मार्च निकाला जो बाजार होते हुए प्रखंड मुख्यालय के समक्ष गया. वहां आयोजित सभा को संबोधित करते हुए महिला नेता ललिता देवी, सरोज देवी, कुसुम देवी और भाकपा(माले) नेता लालजी यादव ने कहा कि पिछले 54 दिनों से दिल्ली में किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार किसान विरोधी तीन कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है. सरकार जब तक बिल वापस नहीं करती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
मिठनपुरा स्थित शहीद जुब्बा सहनी स्मारक स्थल से महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से ‘किसान बचाओ महिला मार्च’ निकाला. इस दौरान सैकड़ों महिलाओं ने ‘हर महिला का हाथ -किसान आंदोलन के साथ’, ‘किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानून वापस लो’, ‘अडानी-अंबानी के हाथों खेत-खेती को सौंपना बंद करो’, आदि नारे लगाए. मार्च पानी टंकी चौक, क्लब रोड, हरिसभा चौक होते हुए कल्याणी चौक पहुंचा जहां महिला कार्यकर्ताओं ने सभा को संबोधित किया. महिला मार्च में ऐपवा नेत्री प्रमिला देवी, सीमा खातून, ऐडवा की नमिता सिंह, कामिनी कुमारी, बिहार महिला समाज की सोनी, गीता देवी, एआईएमएसएस की कंचन कुमारी, साधना झा, प्रगतिशील महिला संगठन की रीता देवी, इंदू देवी व रसोइया संघ की उर्मिला देवी सहित सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं व छात्राएं भी शामिल थीं.
कल्याणी चौक पर सभा को संबोधित करती हुई महिला कार्यकर्ताओं ने कहा की खेत-खेती-किसानी को बचाने के लिए दिल्ली बोर्डर पर हजारों महिलाएं डटी हुई हैं. देश की आजादी की लड़ाई में महिलाओं की ऐतिहासिक भूमिका रही है. आज फिर काॅरपोरेट कंपनी राज से खेत-खेती और देश को बचाने की लड़ाई जारी है. पूरे देश की महिलाएं किसान आंदोलन के साथ हैं.
ऐपवा, खेग्रामस व अखिल भारतीय किसान महासभा के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने जिला समाहरणालय मधुबनी के सामने किसान आंदोलन के समर्थन में धरना कार्यक्रम किया. खेग्रामस के जिला सचिव बेचन राम की अध्यक्षता में आयोजित धरना व सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की जिला संयोजक पिंकी सिंह ने कहा कि देश में लोकतंत्र व संविधान खतरे में हैं. सभा को ऐपवा नेत्री किरण दास, सुनीता देवी, शीला देवी, प्रमिला देवी, संध्या देवी, रामकली देवी, ललिता देवी आदि ने संबोधित किया.
ऐपवा, अखिल भारतीय किसान महासभा और खेग्रामस ने संयुक्त प्रतिवाद मार्च निकालकर महिला किसान एकजुटता दिवस मनाया. भाकपा माले कार्यालय कमलेश्वरी भवन से कार्यकर्ताओं ने बैनर, झंडा और प्लेकार्ड के साथ मार्च निकाला जो कैंटिन चौक पहुंच कर सभा में परिणत हो गया. ऐपवा नेत्री किरण देवी की अध्यक्षता में हुई सभा को संबोधित करते हुए किसान महासभा के जिला सचिव बैजू सिंह, खेग्रामस के जिला सचिव चन्द्रदेव वर्मा, भाकपा(माले) के नगर सचिव राजेश श्रीवास्तव, आइसा नेता वतन आदि ने कहा कि अडानी-अंबानी परस्त मोदी सरकार किसानों को अपनी जमीन पर अपने मन की खेती करने के अधिकार को ही समाप्त कर देना चाहती है जो किसानों को मंजूर नहीं है.
आजमगढ़ जिले के मेहनगर तहसील के गजोर ग्राम पंचायत में काले कृषि कानून के वापसी को लेकर माले व ऐपवा की पहल पर महिलाओं ने प्रदर्शन किया.
मऊ जिले के मझौवा ताजोपुर में किसान महिला दिवस मनाया गया. तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए महिलाओं द्वारा उरई में विरोध प्रदर्शन किया गया. गाजीपुर बार्डर पर ऐपवा की उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष का. कृष्णा अधिकारी के नेतृत्व में महिलाओं का प्रदर्शन हुआ.
किसान महासभा, ऐक्टू और ऐपवा के नेताओं ने लखनऊ के हरदोई रोड स्थित दशहरी मोड़ पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान यूनियन (अराजनैतिक) लोकतांत्रिक के बैनर तले चल रहे किसानों के अनिश्चित कालीन धरना स्थल पर पहुंच कर आन्दोलन का का समर्थन किया.
झारखंड के देवघर जिले के मोहनपुर में ऐपवा राज्य अध्यक्ष का. गीता मंडल की नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ.
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एआईकेएससीसी और संयुक्त किसान मोर्चा ने महिला किसान दिवस में विरोध कार्यक्रमोें में भागीदारी व व्यापकता पर संतोष जाहिर करते हुए कहा है कि यह विरोध देश भर में 300 से अधिक जिलों में आयोजित हुए और महिलाओं ने खुद नेतृत्व की बागडोर संभाली. उन्होंने देश के किसानों के रूप में आवाज बुलन्द करते हुए कहा कि खेती का 75 फीसदी काम महिलाएं करती हैं और ये तीन खेती के कानून सबसे पहले व सबसे ज्यादा उनकी जीविका को छीनेंगे. खेती के सभी काम जैसे बुआई, रोपाई, सिंचाई, निराई, कटाई, ढुलाई, छंटाई, भराई, बंधाई और पशुपालन से जुड़े काम जैसे चारा डालना, चराने ले जाना, दूध निकालना, सफाई करना, गोबर बटोरना व कण्डे बनाना, दूध का प्रसंस्करण करना, सभी में ज्यादतर महिला श्रम काम आता है. हम इस मुहिम में सहयोग करने वाली सभी संस्थाओं और व्यक्तियो को हार्दिक धन्यवाद देते हैं.
इन संगठनों ने जोर देकर कहा कि महिलाओं की यह बढ़ती ताकत देेश में एक नयी जागृति पैदा कर रही है और यह देश के एक नये विकास की नींव ढाल रहा है जो जनता के विकास पर आधारित होगा, कम्पनियों और उनके बिचैलियों के विकास पर नहीं. ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि महिला किसान दिवस की सफलता ने किसान आंदोलन को जीत की ओर अग्रसर किया है.
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