ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन (ऐपवा) ने 3 से 9 जनवरी तक महिला शिक्षा और सामाजिक न्याय, समानता और आजादी के लिए एक सप्ताह का अभियान चलाया. 3 जनवरी को देश में महिलाओं के लिए प्रथम पाठशाला खोलने वाली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन था और 9 जनवरी को उनकी सहयोगी शिक्षिका फातिमा शेख का जन्मदिन था. सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की साझी विरासत को लोगों खासकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने में यह अभियान बहुत कारगर साबित हुआ.
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में अभियान के अंतिम दिन ख़ुल्दाबाद मोहल्ले में महिलाओं ने सभा करके फातिमा शेख का जन्मदिन मनाया और उनके उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा की. ऐपवा नेता बबली व शहनाज तथा छात्रा संगठन आइसा की नेता शिवानी ने कहा कि भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख ने लड़कियों, खासकर दलित और मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को शिक्षित करने में जो अहम योगदान दिया था वह भुलाया नहीं जा सकता. इन दो नायिकाओं को ने आज से डेढ़ सौ साल पहले हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करते हुए दलितों और महिलाओं की शिक्षा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया.
ऐपवा नेता मंजू ने कहा कि आज इस देश मे सरकार जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बोल रही है, साम्प्रदायिक जहर घोलकर नफरत फैलाने की राजनीति कर रही है. मनुस्मृतिको जायज मानते हुए महिला विरोधी कानूनों का निर्माण कर रही है. संविधान में बालिग लड़का-लड़की को अपनी मर्जी से शादी करने और अपना धर्म चुनने के अधिकार के विरुद्ध योगी सरकार ‘लव जिहाद’ का नाम लेकर एक ऐसा कानून लाई है जिसमें शादी के बाद धर्म परिवर्तन करने पर नवविवाहितों को प्रताड़ित किया जा रहा है. हमें भाजपा के इस घृणित महिला विरोधी हमलों का हर स्तर पर विरोध करना होगा.
ऐपवा-इलाहाबाद की संयोजक रूपा ने कार्यक्रम के समापन वक्तव्य में कहा कि हमने सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख – इन दोनों पुरखिनों से प्रेरणा लेते हुए अब महिलाओं की सम्पूर्ण आजादी के लिए संगठित संघर्ष करने और महिला आंदोलन को मजबूत बनाने की लगातार कोशिश करते रहना चाहिए.
ऐपवा नेताओं ने झांसी और बदायूं में हुए बालात्कार के बाद जघन्य हत्या समेत प्रदेश में महिलाओं पर लगातार हो रही हिंसक घटनाओं पर आक्रोश व्यक्त किया और महिला आयोग की सदस्य के असंवेदनशील बयान की निंदा की गई. कार्यक्रम में रूपा, बबली, मंजू, शहनाज, मुन्नी, गीता, रानी, शाहीन, मरियम, शिवानी, रश्मि शामिल रहीं.
इस अभियान के तहत 9 जनवरी 2021 को चंदौली जिले के चकिया ब्लाक के ईशहूंल गांव में ऐपवा जिला काउंसिल सदस्य कामरेड मंजू बियार व रेखा पासवान की अगुवाई में सावित्रीबाई फुले तथा फातिमा शेख के जीवन संदर्भों पर चर्चा की गई और महिलाओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ संघर्ष की तैयारी करने का संकल्प लिया गया. गांव में ऐपवा की 7 सदस्यीय ग्राम कमेटी बनाई गई. बदायूं बलात्कार कांड पर महिला आयोग की सदस्य द्वारा दिए गए विवादित बयान की निंदा भी की गई.
चंदौली जिले में ‘महिलाओं के बीच चलो’ नाम से अभियान चलाया गया. इसके तहत ऐपवा नेत्री कामरेड गुड़िया खान ने चंदौली जिले के नियमताबाद प्रखंड के सिंधीताली, हिंदूवारी, चंदरखा, खजूरगांव, जीवनाथपुर तथा रमौली यानी कुल 6 गांवों में ऐपवा की ग्राम कमेटी का गठन किया तथा हर जगह सावित्रीबाई फुले तथा फातिमा शेख के जीवन संदर्भों पर चर्चा की गई और वर्तमान दौर में महिलाओं पर बढ़ते हमले के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया.
3 जनवरी 2021 को सावित्रीबाई फुले की 190 वीं जयंती पर वाराणसी में सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की साझे संघर्ष और साझी विरासत को याद करते हुए उन्हें पुष्पांजलि देने और सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख अमर रहे के नारों के साथ कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस मौके पर डीएलडब्लू, वाराणसी में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया तथा चर्चित बुद्धिजीवी प्रो. प्रमोद बागड़े के साथ एक क्लास भी आयोजित हुआ.
9 जनवरी को भी महिलाओं के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया और सावित्रीबाई फुले और फतिमा शेख की साझी विरासत को आज के दौर में याद करना क्यों जरूरी है? इसके सम्बन्ध में विस्तार से बात की गई. कार्यशाला में मुख्य रूप से का. वीके सिंह व ऐपवा की जिलाध्यक्ष का. सुतपा गुप्ता ने अपनी बात रखी. कार्यक्रम में विभा वाही, कृपा वर्मा, का अमरनाथ राजभर, का कमलेश यादव, रुखसाना, नूरजहां, हीरावती देवी, काजल, प्रीति, प्रियंका, आदि प्रमुख रूप से शामिल थे.
ऐपवा ने 5 जनवरी 2021 को राजकीय महिला महाविद्यालय, वारणसी में सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की साझी विरासत और वर्तमान चुनौतियों को याद करते हुए छात्राओं के साथ कार्यक्रम आयोजित किया.
पटना के कंकड़बाग और छज्जूबाग में महिलाओं ने ऐपवा के बैनर तले फातिमा शेख की जयंती पर फातिमा शेख एवं सावित्रीबाई फुले की साझी विरासत को भी याद करते हुए सभा का आयोजन किया.