विगत 27 दिसंबर 2020 को भाकपा(माले) व अखिल भारतीय किसान महासभा के कायकर्ताओं ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसान संगठनों के आह्वान पर पूरे देश में पीएम के ‘मन की बात’ का ताली-थाली बजाकर विरोध किया. पार्टी व जनसंगठनों के कार्यकर्ता रविवार को शहर से लेकर गांवों तक टोलियां बनाकर सुबह 11 बजने का इंतजार करते रहे. जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर अपने ‘मन की बात’ शुरू की, कार्यकर्ताओं ने ताली-थाली जोर से पीटनी शुरू की. यह प्रतिवाद तबतक चला, जब तक पीएम का संबोधन जारी रहा.
विरोध कार्यक्रम के दौरान ‘तीनों काले कृषि कानून रद्द करो’, ‘अडानी-अंबानी को देश बेचना बंद करो’, ‘अडानी-अंबानी से यारी, किसानों से गद्दारी, नहीं चलेगी’, ‘एमएसपी को कानून बनाओ, लागत का डेढ़ गुना दाम दिलाओ’, ‘किसानों के कर्जे खत्म करो, बिजली बिल 2020 वापस लो’ आदि नारे लगाए गए. कार्यकर्ताओं का कहना था कि यह समय मन की बात सुनाने के बजाय अन्नदाताओं की बात सुनने का है, जो नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली सीमा पर पिछले 32 दिनों से हाड़ कंपाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं, अपनी जानें दे रहे हैं.
उत्तरप्रदेश में कई जगहों पर पुलिस ने प्रतिवाद कार्यक्रम को रोकने के लिए सुबह से ही नेताओं को उनके घरों पर नजरबंद कर दिया. सीतापुर के माले जिला सचिव अर्जुन लाल को हर गांव थाने की पुलिस ने रिखीपुरवा गांव में उनके घर पर सवेरे सात बजे नजरबंद कर दिया. जिले में लगभग 20 केन्द्रों पर माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के नेताओं के घर पर पुलिस के पहरे के बावजूद ताली-थाली बजाई गई.
लखीमपुर खीरी में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन (ऐपवा) की जिला कमेटी की चल रही बैठक के दौरान महिला नेताओं ने ताली-थाली बजाकर प्रधानमंत्री के रेडियो भाषण का विरोध किया. जिले में आठ जगहों पर विरोध हुआ. रायबरेली के छह प्रखंडों में ‘थाली पीटो’ कार्यक्रम हुआ.
गाजीपुर में तुलसी सागर लंका कार्यालय, करन्डा, गैबीपुर, हथौड़ा, शहाबपुर, हथियाराम, बेलहरा आदि गांवों में ताली और थाली बजाकर मोदी के मन की बात का विरोध किया. अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह ने शहाबपुर गांव में कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कड़ाके की ठंड में दिल्ली बार्डर पर खुले आसमान के नीचे सड़क पर आंदोलन कर रहे किसानों के सवालों को हल करने के बजाय देश वासियों को ‘मन की बात’ सुना रहे हैं. भाकपा(माले)और किसान महासभा उनसे अपने ‘मन की बकवास’ बंद करने और किसानों की बात शुरू करने की मांग करते हैं.
करंडा में खेग्रामस जिला सचिव राजेश वनवासी ने कहा कि गाजीपुर के खेत मजदूर भी किसानों के संघर्ष के साथ है. गैबीपुर में खेग्रामस जिलाध्यक्ष नंदकिशोर बिंद ने कहा कि देश में अच्छे दिन लाने का वायदा कर के आई मोदी सरकार अडानी-अंबानी के फायदे के लिए रेलवे से लेकर खेती-बाड़ी तक को औने-पौने दाम पर बेच रही है.
कार्यक्रम को सरोज यादव, उजागिर राम, अंगद विश्वकर्मा, निर्मला, योगेन्द्र भारती, रामप्यारे राम, किशन मौर्य, रामअशीष बिंद, सत्येन्द्र कुमार, मंजू गोंड ने सम्बोधित किया. राजधानी लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, बलिया, मुरादाबाद, मथुरा, जालौन आदि जिलों में भी ताली-थाली बजी. 28 दिसंबर को मथुरा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाकपा(माले) व किसान महासभा के कार्यकर्ताओं का एक बड़ा जत्था किसान आंदोलन से एकजुटता जताने दिल्ली के टिकरी बार्डर पर पहुंचेगा.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में वाम दलों ने प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को मात्र नौटंकी बताकर थाली, माली, झंझर, ढोल बजाकर सरकार को चिढ़ाते और तीव्र विरोध करते हुए प्रदर्शन किया. साथ ही वामदलों ने सरकार की किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के देश भर में जारी आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि अब यह आंदोलन मात्र किसान आंदोलन न रहकर जनांदोलन में तब्दील हो चुका है.
इसी परिप्रेक्ष्य में भिलाई के वामदलों व उनसे जुड़े ट्रेड यूनियनों तथा बौद्ध महासभा से जुड़े लोगों ने संयुक्त रूप से सेक्टर-6 के जयप्रकाश नारायण चौक (सुपेला रेलवे क्रासिंग के पास) थाली, माली, झंझर, ढोल बजाकर प्रदर्शन किया. इस दौरान वाम दलों ने कहा कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, अडानी-अंबानी सहित बड़े कार्पाेरेट घरानों को फायदा पहुंचाने में लगी हुई है. देश के मेहनतकश वर्ग किसानों-मजदूरों के खिलाफ एक तरह से युद्ध ही छेड़ रखा है. व्यापक विरोध के बावजूद श्रम कानूनों में मनमानी संशोधन और कृषि व किसान विरोधी कानूनों को लागू करने के जिद पर अड़े रहना इसी का परिचायक है. अब तो देश की जनता ने यह तय कर लिया है कि या तो सरकार इन काले कानूनों को वापस लेगी या फिर ये सरकार ही उखड़ेगी.
वाम दलों ने संघ-भाजपा व गोदी मीडिया द्वारा किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को अन्यान्य तरीके से बदनाम करने के षड़यंत्रों की तीखी निंदा की और लोगों से इन काले कानूनों को वापस लेने की मांग का संकल्प लेने तथा दिल्ली की सीमाओं पर कड़कड़ाती ठंड में बैठे किसानों के प्रति एकजुटता जताते हुए इसे व्यापक जनांदोलन बनाने का आह्वान किया. प्रदर्शन में भाकपा, माकपा, भाकपा(माले) लिबरेशन, छमुमो तथा बौद्ध महासभा के कार्यकर्ता-नेता शामिल थे.
बिहार में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेताओं-कार्यकर्ताओं और आम किसानों ने थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज किया. राजधानी पटना सहित राज्य के ग्रामीण इलाकों में यह कार्यक्रम व्यापक पैमाने पर लागू हुआ.
पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, राष्ट्रीय कार्यालय के सचिव राजेन्द्र पटेल, राज्य कार्यालय के सचिव अविनाश कुमार, कयामुद्दीन अंसारी, नेयाज अहमद आदि नेताओं ने छज्जूबाग स्थित भाकपा(माले) विधायक दल कार्यालय में थाली बजाकर ‘मन की बात’ कार्यक्रम को लागू किया.
इस मौके पर किसान नेता रामाधार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की बात सुननी चाहिए लेकिन वे अपनी धुन में ही ‘मन की बात’ के नाम पर लगातार बकवास किए जा रहे हैं और देश की खेती-किसानी को काॅरपोरेटों के हवाले करने के लिए बेचैन हैं.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के किसानों की हालत बेहद खराब है. बिहार में सबसे पहले मंडी व्यवस्था खत्म करके यहां के किसानों को बर्बादी के रास्ते धकेल दिया गया. बिहार की भाजपा-जदयू सरकार ने किसानों के साथ छलावा किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बताएं कि बिहार में किस स्थान पर किसानों के धान का समर्थन मूल्य मिल रहा है? सच्चाई यह है कि पैक्सों को धान भंडारण के लिए बोरे खरीदने तक का पैसा सरकार उपलब्ध नहीं करा रही है.
किसान नेताओं ने कहा कि बिहार की धरती सहजानंद सरस्वती जैसे किसान नेताओं की धरती रही है, जिनके नेतृत्व में जमींदारी राज की चूलें हिला दी गई थीं. आजादी के बाद भी बिहार मजबूत किसान आंदोलनों की गवाह रही है. 70-80 के दशक में भोजपुर और तत्कालीन मध्य बिहार के किसान आंदोलन ने किसान आंदोलन के इतिहास में एक नई मिसाल कायम की है. अब एक बार नए सिरे से बिहार के छोटे-मंझोले-बटाईदार समेत सभी किसान आंदोलित हैं. आज भगत सिंह का पंजाब और स्वामी सहजानंद के किसान आंदोलन की धरती बिहार के किसानों की एकता कायम होने लगी है, इससे भाजपाई बेहद डरे हुए हैं.
भोजपुर, सिवान, अरवल, जहानाबाद, समस्तीपुर, गया, गोपालगंज, पूर्णिया, भागलपुर आदि जिलों में किसान महासभा के बैनर से थाली बजाने का आंदोलन किया गया.
समस्तीपुर के ताजपुर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले किसानों ने थाली पीटकर प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ का विरोध किया. इस मौके पर आयोजित सभा को बासुदेव राय, मुकेश कुमार गुप्ता, जीतेंद्र सहनी, आशिफ होदा, संतोष कुमार, वंदना सिंहआदि ने संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता किसान नेता ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि किसानों की लड़ाई जायज है वे मोदी के कानून को किसान नहीं मानेंगे.
बेगूसराय शहर सहित जिले के बलिया, बेगूसराय ग्रामीण व नावकोठी प्रखंडों के दर्जनों गांवों में किसान-मजदूरों, महिला-पुरूष, छात्र-नौजवानों ने थाली-ताली पीट कर किसान विरोधी तीनो कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए मोदी के ‘मन की बात’ का विरोध किया. खगड़िया में भाकपा(माले) नेता अभय कुमार वर्मा व प्रगतिशील अधिवक्ता संघ के जिला अध्यक्ष प्राणेश कुमार के नेतृत्व में तथा जिले के औरैया (परबत्ता प्रखंड) में भाकपा(माले) के जिला संयोजक अरुण कुमार दास के नेतृत्व में थाली-ताली पीटो कार्यक्रम आयोजित हुआ.
ओडिसा के रायगडा जिले के केसिंगपुर में भी मोदी के ‘मन की बात’ का विरोध करते हुए थाली बजाया गया.