विगत 21 जनवरी को ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर सभी शिक्षण परिसरों को फिर से खोलने और डिजिटल विभाजन को समाप्त करने की मांग का ज्ञापन सौंपा. पूरे दिल्ली से छात्रा इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, जनसभा की शुरुआत करते हुए आइसा के दिल्ली राज्य सचिव काशिफ ऐजाज ने आंदोलन की आवश्यकता और मांगों को उजागर किया. इसके बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रणविजय ने मोदी सरकार की समर्थक काॅर्पाेरेट नीतियों पर प्रकाश डाला. नेहा, अभिज्ञान और डोलन ने एयूडी, डीयू और जेएनयू से क्रमशः अभियान और अपने विश्वविद्यालयों में छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं की बात की.
आइसा का एक प्रतिनिधिमंडल ने, जिसमें राष्ट्रीय कार्यवाहक महासचिव प्रसेनजीत कुमार शामिल थे, यूजीसी के अध्यक्ष को एक ज्ञापन सौंपा और आंदोलन की मांगों पर बात की. ज्ञापन में पर्याप्त चिकित्सा जांच और सुविधाओं के साथ सभी परिसरों को खोलने, सभी लंबित छात्रवृत्तियों को अब वितरित करने, सभी विश्वविद्यालयों और काॅलेजों में आरक्षण और सकारात्मक कार्रवाई नीतियों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने, जरूरतमंद छात्रों को इंटरनेट और लैपटाॅप की पर्याप्त सहायता प्रदान करने, लाॅकडाउन अवधि के लिए सभी टयूशन/छात्रवास शुल्क माफ करने, समान रूप से छात्रों को हिन्दी पाठ्य सामग्री प्रदान करने, सभी रिसर्च स्काॅलर्स को एक वर्ष का विस्तार प्रदान करने की मांग शामिल है.
यूजीसी के संयुक्त सचिव ने आश्वासन दिया कि आयोग ने विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं. रिसर्च स्काॅलर को वित्तीय सहायता और विस्तार के मुद्दे पर, यूजीसी ने जरूरतों के प्रति सहानुभूति रखने का दावा किया. यदि इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाए गए तो आइसा देश के सभी विश्वविद्यालयों को शामिल करते हुए, परिसर को फिर से खोलने के आंदोलन को जारी रखेगा.