देश की खेती, किसानी और खाद्य सुरक्षा को कारपोरेट व बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गुलाम बनाने वाले तीन कानूनों को जबरन संसद में पारित किए जाने के विरोध में देश के किसानों और खेत मजदूरों ने 25 सितम्बर 2020 को अपने राष्ट्रव्यापी संघर्ष का बिगुल बजा दिया है. अनुमान है कि 25 सिम्बर को देश भर में एक लाख से ज्यादा स्थानों पर विरोध कार्यक्रम आयोजित हुए और दो करोड़ से ज्यादा लोगों ने इनमें सक्रिय भाग लिया. राष्ट्रपति द्वारा 27 सितम्बर को तीनों कृषि बिलों पर हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद भी किसानों का यह आन्दोलन देश भर में लगातार जारी है. देश के किसान संगठनों के आह्वान पर 25 सितम्बर को पंजाब और हरियाणा में सम्पूर्ण बंद रहा. पश्चिम उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्यप्रदेश के कई इलाकों में बंदी रही तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू, असम व अन्य क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी विरोध सभाएं हुईं. किसानों के इस राष्ट्रव्यापी बंद व प्रतिरोध दिवस को देश की दस केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों, छात्र, युवा व महिला संगठनों, वामपंथी पार्टियों ने पहले ही खुला समर्थन जाहिर कर दिया था. वे सब देश भर में किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरे दिखे. विपक्ष की अन्य पार्टियों और अकाली दल ने भी किसानों का साथ दिया. पंजाब, कर्नाटक सहित देश के कई हिस्सों में लेखकों, कवियों, लोक गायकों, फिल्म, थियेटर व कला से जुड़े लोगों ने भी किसानों का साथ दिया. सम्पूर्ण पंजाब सहित देश के कई भागों में व्यापारी व आढती संगठनों ने भी बंद में किसानों को अपना समर्थन दिया. 25 सितम्बर के बंद व प्रतिरोध आंदोलन के समर्थन में कनाडा में रह रहे भारतीय प्रवासियों ने बड़ा जुलूस निकाला और किसान विरोधी तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग की.

मोदी सरकार द्वारा कोरोना संकट की आड़ में संसदीय नियमों की खुली अवहेलना कर जबरन पास कराए गए इन तीन बिलों का कड़ा विरोध आगे भी जारी रहेगा. 25 सितम्बर के राष्ट्रव्यापी बंद व प्रतिरोध दिवस पर 25 से लेकर 7 हजार तक की गोलबंदी के इन एक लाख कार्यक्रमों में दो करोड़ से ज्यादा लोगों की भागीदारी कोविड दौर में पूरी दुनिया और आजादी के बाद भारत के जन आंदोलनों के इतिहास में सबसे बड़ी जन गोलबंदी है. किसान विरोधी भाजपा और संसद में इन बिलों को समर्थन देने वाले उसके सहयोगियों का देश के किसानों ने गांव-गांव में सामाजिक बहिष्कार कार्यक्रम शुरू कर दिया है. पंजाब व हरियाणा के गांवों और शहरों में भाजपा के बहिष्कार के बैनर टांगे जा रहे हैं. ग्राम पंचायतों की खुली बैठकों में भाजपा व उसके सहयोगियों के बहिष्कार के प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं. कई व्यापार मंडलों या आढ़ती संगठनों ने भी ऐसे बैनर टांगे हैं. पंजाब में किसानों का 24 सितम्बर से शुरू तीन दिन तक रेल रोको आंदोलन के बाद अब किसान दो अक्टूबर तक लगातार रेल रोकने की घोषणा कर चुके हैं.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की अपील पर 28 सितम्बर 2020 को महान राष्ट्रवादी, क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के 114वें जन्मदिवस के अवसर पर देश भर में कृषि सम्बन्धी इन तीनों काले कानूनों से खाद्य सुरक्षा को खतरे पर विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए.

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) भी इस आंदोलन में शामिल है. किसान यूनियन के नेतृत्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 80, मुजफ्फरनगर में 11, शामली में 3, सहारनपुर में 5, गाजियाबाद में 2, नोएडा में 2, हापुड में 4, मेरठ में 9, मुरादाबाद में 10, शाहजहांपुर में 3, रामपुर में 2, स्थानों सहित मैनपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ सहित पूरे प्रदेश में चक्का जाम किया गया. बंद में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चै. नरेश टिकैत पानीपत-खटीमा मार्ग लालूखेडी मुजफ्फरनगर में, राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत राष्ट्रीय राजमार्ग 58 रामपुर तिराहा, नावला कोठी, रोहाना चौकी मुजफ्फरनगर में शामिल हुए. भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रतनसिंह मान कैथल व करनाल में शामिल रहे. पंजाब के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह लाखोवाल लुधियाना में मौजूद रहे. भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल सहित उत्तर भारत में किसानों का प्रतिनिधित्व करता है.

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड अशोक धावले के नेतृत्व में मुम्बई-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग को दो हजार किसानों ने जाम कर दिया. पूरे राज्य में कई जिलों में किसान सभा के नेतृत्व में सड़क जाम व प्रतिरोध मार्च आयोजित किए गए. पश्चिम बंगाल में अखिल भारतीय किसान सभा ने लगभग हर जिले के कई  स्थानों में चक्का जाम किया. संगठन की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 92 स्थानों में राष्ट्रीय राजमार्गों, 89 स्थानों में राज्य मार्गों को जाम किया गया. केरल में किसान सभा के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 250 कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया गया. संगठन के कार्यकर्ताओं ने उड़ीसा, असम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल, जम्मू कश्मीर, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली में भी जाम व प्रतिरोध मार्च आयोजित किए. एडवा, सीटू, एसएफआई ने भी किसानों के इस देशव्यापी आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी की.

पंजाब में किसान आन्दोलन का सर्वाधिक असर रहा. यहां किसानों के लिए संघर्षरत सभी 31 किसान संगठन पहली बार एक साथ आकर इस संघर्ष को व्यापक बना दिए हैं. कृषि बिलों के खिलाफ पूरा पंजाब बंद व जाम रहा. गांवों से लेकार शहरों तक सड़कों व रेल पटरियों पर सुबह से ही किसान जुटने लगे थे. महिलाओं की भी अच्छी भागीदारी थी. लेखकों, लोक गायकों, कलाकारों व पंजाबी फिल्म इंडट्रीज ने खुल कर किसानों का साथ दिया. पंजाब के व्यापारी संगठनों व आढ़तियों ने भी आन्दोलन में सक्रिय हिस्सा लिया. आन्दोलनकारियों के लिए जगह-जगह लंगर लगे दिखे. पंजाब में 24 सितंबर से ही ‘रेल रोको’ आन्दोलन के कारण किसानों ने ट्रेन की पटरियों पर धारना देकर उनको अवरुद्ध कर दिया था. इस वजह से कम से कम 28 यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा. पंजाब में अब दो अक्टूबर तक रेल रोको आन्दोलन होगा. किसान मजदूर संघर्ष समिति के राज्य सचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा ‘पीएम मोदी इन बिलों को जमीन पर नहीं उतार पाएंगे. वह विपक्ष पर आरोप लगा रहे हैं कि वह हमें परेशान कर रहे हैं. यह सही नहीं है. हमें देश भर के किसानों का समर्थन मिल रहा है. हमारी संख्या बहुत बड़ी है. यह एक बहुत बड़ा जन आंदोलन है.

मानसा में किसानों, आढ़तियों, व्यापारियों की विशाल संयुक्त रैली निकली. रैली में भाकपा(माले) ने भी पूरी ताकत के साथ हिस्सा लिया. पंजाब किसान यूनियन कई दिनों से इसकी तैयारी में जुटी थी. रैली को अन्य नेताओं के अलावा मुख्य रूप से अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह ने संबोधित किया. भिखी में किसानों व व्यापारियों की संयुक्त रैली को पंजाब किसान यूनियन के राज्य सचिव कामरेड गुरुनाम सिंह ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सरकार इन काले कानूनों को वापस ले या देशव्यापी जन आंदोलनों का सामना करे. उन्होंने कहा कि इन तीनों काले बिलों को सरकार वापस ले या गद्दी छोड़े. पटियाला में एआइकेएससीसी के पंजाब प्रांतीय संयोजक डा. दर्शन पाल ने किसानों को संबोधित किया.

राजस्थान में अखिल भारतीय किसान महासभा ने चिङड़ावा-सिंघाना दिल्ली हाइवे पर भैसावता खुर्द के आगे जोह में चक्का जाम किया. चक्का जाम में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव रामचन्द्र कुलहरि, जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश झारो, जिला उपाध्यक्ष इंद्राज सिंह चारावास, जिला उपाध्यक्ष सूरजभान सिंह तथा अमर सिंह चाहर, बजरंग लाल बराला, होशियार सिंह, महीपाल चारावास, प्रेम सिंह नेहरा, सुभाष चाहर,  नरेश जसरापुर, ओमवीर जांगि, काशीराम, शीशराम,  इंकलाबी नौजवान सभा के जिला संयोजक रविन्द्र पायल, कृष्ण कुमार सोमरा, वासुदेव शर्मा, सूरत सिंह कुलहरि, जगवीर आर्यनगर आदि शामिल थे. किसान महासभा और भाकपा-माले द्वारा राज्य के उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में भी विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए. एआइकेएससीसी से जुड़े अखिल भारतीय किसान सभा और अन्य संगठनों ने भी राज्य के विभिन्न जिलों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए.

हरियाणा पंजाब के बाद सर्वाधिक सफल बंद वाला राज्य रहा जहां सुबह से ही किसानों के जत्थे सड़कों पर उतरने शुरू हो गए थे. किसान आन्दोलन का इतना व्यापक प्रभाव था कि पूरा हरियाणा किसानों के जाम व बंद के आगोश में आ गया था. किसान संगठनों के अलावा आढ़ती और व्यापारी संगठनों ने भी किसानों के हरियाणा बंद को पूरा समर्थन दिया. हरियाणा में वामपंथी पार्टियों, कांग्रेस और आप का भी किसान आन्दोलन को समर्थन था. भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) सहित किसान यूनियन के सभी धड़े और वामपंथी किसान संगठन बंद को सफल बनाने में पूरी ताकत से जुटे थे. अखिल भारतीय किसान महासभा ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले अम्बाला, यमुनानगर, करनाल, कैथल, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूह (मेवात), सोनीपत, पलवल आदि जिलों में विरोध कार्यक्रम किये. रतिया में आयोजित संयुक्त विरोध रैली में भी सुखविंदर सिंह रतिया के नेतृत्व किसान महासभा ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. यहां हुई किसानों की विरोध रैली को स्वराज अभियान के संयोजक योगेन्द्र यादव ने भी संम्बोधित किया. इसके अलावा राज्य के सभी हिस्सों में यहां कार्यरत भारतीय किसान यूनियन ने लाखों किसानों को सड़कों पर उतारा.

तमिलनाडु में अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐक्टू और भाकपा(माले) ने 14 जिलों में रोड जाम, पुतला दहन सहित प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए. सलेम में नारायनन, पुद्दुकोट्टई में राजांगम, शिवाकंगई में नारायनन, डिंडीगुल में जगदीश, कल्लाकुरिचि में राधाकृष्णन, थिरुवन्नामलाई में रहमतुल्ला, थेंकसी में शेख मोहिदीन, मायीलादुथुराई में लोर्दुस्वामी, तंजावुर में कन्नाईयन, कुढ़ालोर में  राजाशंकर, मदुरई में  निवेधा, धर्मापुरी में गोविन्दराज, करूर में ऐक्टूु नेता रामचंद्रन, त्रिची में ऐक्टूु नेता  राज्य सचिव देसिगन के अलावा भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. असाईथम्बी और का. चन्द्रमोहन ने विरोध कार्यक्रमों का नेतृत्व किया. सभी जिला मुख्यालयों और पुडूकोट्टई जिले के सात स्थानों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए.

कर्नाटक में एआइकेएससीसी से जुड़े संगठनों, दलित संगठनों, मजदूर कर्मचारी संगठनों ने साझा कार्यक्रम किए. अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर से बेल्लारी व कोप्पल जिलों में रास्ता रोको सहित सभी विरोध कार्यक्रमों में सक्रिय व प्रभावकारी भागीदारी की गयी. एक्टू ने बेंगलुरु में रास्ता रोको आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. 28 सितम्बर के कर्नाटक बंद के सफल संयुक्त आह्वान में भी एक्टू और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा ने पूरे कर्नाटक में सक्रिय भूमिका निभाई.

आंध्र प्रदेश में अखिल भारतीय किसान महासभा ने सात जिलों में प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए. राज्य के कृष्णा, कडपा, कुरनूल. गुंटूर, ईस्ट गोदावरी, विशाखापट्टनम, श्रीकाकुलम में पुतला दहन, प्रतिरोध मार्च, धरना व विरोध सभा के कार्यक्रम आयोजित किए गए. किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. डी हरिनाथ, का. टी अन्जनेयुला, का. टी सन्यासी राव, का. एम रामाराव, का. कामेश्वर राव, का. दुष्यन्त, का. पी एस अजय कुमार, का. के गणेश, का. एम लक्चा बाबू, का. चन्द्र राव, का. पुल्ला राव, का. बक्कईयह, का. मालेश्वर राव, का. जोशी, का. वेंकटेश्वरलू, का. रामदेव, का. नीलप्पा, का. बाबू राव, का. राजेन्द्र प्रसाद, का. तिरुपति राव आदि नेताओं ने इन कार्यक्रमों का नेतृत्व किया. उड़ीसा में रायगडा जिले के गुनुपुर में का. तिरुपति गोमांगो और संबरा सबारा के नेतृत्व में 500 किसानों और खेत मजदूरों का प्रभावशाली प्रतिरोध मार्च निकला. पुरी में किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव का. अशोक प्रधान, केंद्रापाड़ा में का. प्रकाश मलिक, सोनपुर में का. कुसामोहकुड, बोलंगीर में का. बनबिहारी बेहरा ने कार्यक्रमों का नेतृत्व किया. पुरी का कार्यक्रम अन्य संगठनों के साथ संयुक्त था.

महाराष्ट्र में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. सुभाष काकुस्ते के नेतृत्व में नन्दरूबाड़ जिले के साक्री तहसील में, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य का. राजेन्द्र बी भाउके के नेतृत्व में अहमद नगर में प्रतिरोध सभाएं आयोजित की गयी. इसके अलावा नन्दूरबाड़, नवापुर, धूलिया में भी अखिल भारतीय किसान महासभा, सर्व श्रमिक शेतकरी पक्ष और सत्य शोधक कम्युनिस्ट पक्ष ने संयुक्त प्रतिरोध सभाओं का आयोजन किया. इन सभाओं को कामरेड बाला साहेब सुरुड़े, आरटी गाविद, करन सिंह कोकणी, पंजी गायकवाड़, असफाक कुरैशी और सुरेश मोरे ने भी संबोधित किया. किसानों व आदिवासियों के बीच संघर्षरत प्रतिभा शिंदे के नेतृत्व वाले लोक मोर्चा ने दलोदा, जलगांव सहित कई स्थानों पर रोड जाम व प्रतिरोध मार्च आयोजित किए. राजू शेट्टी के नेतृत्व वाले शेतकरी संगठन ने राज्य के कई जिलों में चक्का जाम किया. मेधा पाटकर के नेतृत्व वाले नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने भी कई स्थानों पर सड़क जाम व धरना आयोजित किए.

दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में किसान नेताओं के अलावा सीपीआई, सीटू, एसएफआई और एडवा के कार्यकर्ता भी भागीदारी किए. प्रदर्शन स्थल पर अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव हन्नान मौलाह, राष्ट्रीय सचिव बीजू कृष्णन, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत, राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा, सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन, एडवा की महासचिव मरियम धवाले, केके रागेश, विकास रंजन भट्टाचार्य व विनय विश्वाम ;सांसद राज्य सभाद्ध, एसएफआई के महासचिव मयूख विश्वास, सीपीआइ के दिनेश वैष्णव सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे. 

त्रिपुरा के चारों जिलों में अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय किसान महासभा ने कई स्थानों पर संयुक्त प्रतिरोध मार्च आयोजित किए. नार्थ त्रिपुरा, अगरतला, उदयपुर, साउथ त्रिपुरा में कार्यक्रम किए किए. किसान महासभा की ओर से का. मानिक पाल, का. गोपाल राय, का. सुबिरजीत, का. देवनाथ और का. बाबुल पाल ने इनमें शिरकत की. असम में कई संगठनों के प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए. किसान महासभा, एक्टू और आइसा ने गुवाहाटी, कलियाबर, बिहाली, रोहा और तिनसुकिया में प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए और केंद्र सरकार के पुतले पफूंके. कार्यक्रमों का नेतृत्व का. सुभाष सेन, डीदुमनी गोगोई, सुब्रतो तालुकदार, परिमल गौड, मिलासिनी देवी ने किया.

पश्चिम बंगाल में अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा ने ग्यारह जिलों के 25 स्थानों पर चक्का जाम व प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए. किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड कार्तिक पाल और किसान स्वराज के राष्ट्रीय संयोजक अभिक शाह ने साउथ 24 परगना में चक्का जाम कार्यक्रम का नेतृत्व किया. वर्धमान में किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष अन्नदा प्रसाद भट्टाचार्य, नदिया में सुबिमल सेन गुप्ता, हुगली में तपन बटब्बल, देवाशीष, बांकुड़ा में बबलू बनर्जी, जलपाईगुडी में सामल भौमिक, दार्जिलिंग में पवित्रा सिंह, मालदा में इब्राहिम सिंह, मुर्शिदाबाद में राजीव राय ने आन्दोलन की अगुआई की.

उत्तर प्रदेश मं अखिल भारतीय किसान महासभा ने  गाजीपुर, मिर्जापुर, बलिया, लखीमपुर खीरी, जालौन, सोनभद्र, देवरिया, गोरखपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद, रायबरेली, सीतापुर, पीलीभीत, मथुरा आदि जिलों में  प्रतिरोध मार्च व सड़क जाम कार्यक्रम आयोजित किये. पूरनपुर, पीलीभीत, खीरी, सीतापुर, शाहजहांपुर के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान नेता वीएम सिंह के नेतृत्व वाले भारतीय किसान मजदूर संगठन ने सड़क जाम व धरना कार्यक्रमों का आयोजन किया. अयोध्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसान बिलों के विरोध में मार्च निकाला.

उत्तराखंड में नैनीताल, अल्मोड़ा और उधमसिंह नगर में अखिल भारतीय किसान महासभा ने विरोध कार्यक्रम आयोजित किए. देहरादून, अल्मोड़ा में किसान सभा के नेतृत्व में धरना दिया गया जिनमें अन्य संगठनों ने भी भागीदारी की. उधमसिंह नगर में तराई किसान संगठन, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान सभा ने भी विरोध मार्च व सड़क जाम जैसे कार्यक्रम आयोजित किए.

---- पुरुषोत्तम शर्मा     

dd
Jharkhand
dd
West Bengal

 

dd
Bihar
dd
Tamilnadu
dd
AP
dd
Mumbai
daar
Bihar - 2
ddare
Orissa
drr
UP