वर्ष - 29
अंक - 40
26-09-2020

मोदी सरकार के तीनों किसान बिलों का विरोध करते हुए देश भर में किसान संगठनों ने सरकार का पुतला फूंका और विरोध मार्च व सड़क जाम कार्यक्रम को सफल बनाया. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजाराम सिंह ने बिहार के ओबरा में मोदी सरकार के पुतला दहन कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा कि मोदी और नीतीश कुमार देश व राज्य के किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं. अगर सरकार किसानों को आजादी दे रही है तो किसानों व उसके संगठनों से बात करने से क्यों डर रही है? उन्होंने कहा कि देश के किसान अपनी खेती, किसानी और देश की खाद्य सुरक्षा को कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गुलाम नहीं बनने देंगे. उन्होंने किसानों से विरोध कार्यक्रमों को जारी रखने व 25 सितंबर को आयोजित प्रतिरोध दिवस पर लाखों की संख्या में सड़कों पर उतरने की अपील की.

देश की सभी वामपंथी पार्टियां किसान आंदोलन के साथ हैं. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य और सीपीएम के महासचिव का. सीताराम येचुरी ने तीनों किसान विरोधी बिलों का विरोध करते हुए 25 सितम्बर को किसान संगठनों द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की है. अखिल भारतीय किसान महासभा ने राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, प. बंगाल, बिहार, उड़ीसा व आंध्र प्रदेश में विरोध कार्यक्रम आयोजित किये. पंजाब व हरियाणा में तमाम किसान संगठन प्रतिरोध जारी रखे हुए हैं. भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और भारतीय किसान मजदूर महासंघ, कांग्रेस व सपा आदि पार्टियों के किसान संगठन भी इन बिलों के विरोध में सड़कों पर दिखे.

अखिल भारतीय किसान महासभा ने राजस्थान के झुंझनूं में 21 सितम्बर को संसद में पारित किसान विरोधी विधेयकों के खिलाफ कई गावों में प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया. बुहाना तहसील के ग्राम ठिंचौली में किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव का. रामचन्द्र कुलहरि के नेतृत्व में, ग्राम झारो में अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष का. ओमप्रकाश झारो के नेतृत्व में, ग्राम ठोठी में जिला उपाध्यक्ष का. सूरजभान सिंह के नेतृत्व में व खेतङी तहसील के ग्राम चारावास में जिला उपाध्यक्ष का. इंद्राज सिंह चारावास के नेतृत्व में किसानों ने प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया.

विदित हो कि 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा में भारी हंगामा के बाद भी विवादित कृषि अध्यादेश ‘फार्म सेक्टर बिल’ पास कर दिया गया. इसके विरुद्ध अखिल भारतीय किसान महासभा ने 21 सितंबर को राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद दिवस घोषित किया. बिहार की राजधानी पटना सहित विभिन्न बाजार चट्टियों में प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन कर विरोध जताया. पुतला दहन के बाद किसानों व नेताओं ने कृषि पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव पर विस्तार से बातें रखी. पटना के जमाल रोड में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य अध्यक्ष विशेश्वर यादव, केंद्रीय कार्यालय सह सचिव राजेंद्र पटेल, बिहार राज्य किसान सभा के राज्य सचिव विनोद प्रसाद तथा जय किसान आंदोलन के नेताओं के नेतृत्व में संयुक्त रूप से पुतला दहन किया गया. भोजपुर के अगिआंव बाजार में जिला सचिव चंद्रदीप सिंह, संदेश, अगिआंव तथा कोईलवर में अन्य किसान नेताओं के नेतृत्व में पुतला दहन किया गया. पटना जिला के नौबतपुर में जिला सचिव कृपानारायण सिंह, जहानाबाद के साहो बिगहा में रामबली यादव, औरंगाबाद के ओबरा में राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह तथा अरवल के मानिकपुर बाजार में राज्य सचिव रामाधार सिंह, जिला सचिव राजेश्वर यादव व किसान नेता अवधेश यादव के नेतृत्व में पुतला दहन किया गया. मुजफ्फरपुर में शहर से गांव-पंचायतों तक भाकपा(माले), अखिल भारतीय किसान महासभा व अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन व पुतला दहन में किसान महासभा के जिला सचिव जितेन्द्र यादव, खेत मजदूर सभा के जिला सचिव शत्रुघ्न सहनी, जिला अध्यक्ष रामनंदन पासवान, सकल ठाकुर, मनोज यादव, राजकिशोर प्रसाद, परशुराम पाठक, होरिल राय, विन्देश्वर साह, उमेश भारती सहित अन्य नेता-कार्यकर्ता शामिल थे.

झारखंड के गिरिडीह में जमुआ चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतला दहन किया गया. किसान नेता रीतलाल प्रसाद वर्मा ने कहा कि भाजपा देश के किसानों से अच्छे दिन और दोगुना मुनाफा देने का वादा करके सत्ता में आई और अब मोदी विधेयक लाकर किसानों की जमीन और उपज कंपनियों के हवाले करना चाह रहे हैं. कार्यक्रम में भाकपा(माले) के जिला कमेटी सदस्य का. विजय पांडे, का. मीना दास, लल्लन यादव, राजा राजेश दास, अरुण कुमार विद्यार्थी, रंजीत यादव, सुरेंद्र राय, भागीरथ पंडित, रामेश्वर ठाकुर, अनिल अंसारी, बाबूलाल महतो, बाबूलाल मंडल आदि लोग शामिल थे.

राजस्थान के उदयपुर में अखिल भारतीय किसान महासभा ने किसान विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका और राज्य सभा में बहुमत के अभाव के बावजूद तानाशाही तरीके से ध्वनि मत से कृषि विधेयकों को पास कराये जाने की कड़ी निन्दा की.

इस मौके पर किसान महासभा के राज्य उपाध्यक्ष चंद्रदेव ओला ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुना करने के वादा के साथ सत्ता में आए नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाकर घटिया राजनीतिक चालबाजी कर रहे हैं. उन्हें तो किसानों व खेत मजदूरों के हित के साथ स्वयं द्वारा किये जा रहे विश्वासघात पर सफाई पेश करनी चहिए थी. किसानों के कर्ज बढ़ रहे हैं, वे जमीन से बेदखल हो रहे हैं और आत्महत्या करने पर मजबूर हैं जबकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर भाजपा सरकार लाठियां चलवा रही है. किसान महासभा के वरिष्ठ नेता शांतिलाल त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री का उचित समर्थन मूल्य व सरकारी खरीद जारी रखने का कथन किसानों की आंखों में धूल झोंकने के लिए है. शान्ता कुमार आयोग ने खुद कहा है कि पहले भी केवल 23 फसलों का समर्थन मूल्य घोषित होता था और खरीद के लाभ का मात्र 6 फीसदी किसानों को मिलता था. एमएसपी पर खरीद की गारंटी पर मोदी की चुप्पी षड्यंत्रकारी है.

भाकपा(माले) के राज्य कमिटी सदस्य शंकरलाल चौधरी ने कहा प्रधानमंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा सभी फसलों की सरकारी खरीद का कानून पारित करना चाहिए. लेकिन वे मंडियों के बाहर कारपोरेट व विदेशी कम्पनियों द्वारा खरीद तथा ठेका खेती की अनुमति का कानून पारित कर रहे हैं. उनकी सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है और इस पर पर्दा डालने के लिए प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि ये कानून कारपोरेट द्वारा किसानों को विकल्प देकर उनका ‘सुरक्षा कवच’ बनेंगे. असलियत में सरकारी खरीद समाप्त होने से किसानों के विकल्प समाप्त हो जाएंगे. भारतीय कारपोरेट के बड़े संगठन फिक्की व सीआईआई लम्बे समय से अनाज की सरकारी खरीद रोकने तथा इसके बाजार को खोलने की मांग करते रहे हैं. विश्व व्यापार संगठन राशन की दुकानें बंद करने को कहता रहा है. ये कानून अनाज, तिलहन, दलहन व सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से हटाते हैं और अब इनकी बिक्री व दाम पर सरकारी नियंत्रण समाप्त हो जाएगा.

ऐक्टू के राज्य सचिव सौरभ नरुका ने किसान आंदोलन के समर्थन में कहा ‘कहीं भी बेचने की आजादी और अच्छा दाम प्राप्त कर पाना’ धोखा देने के अलावा कुछ नहीं है. जो कारपोरेट बाजार पर नियंत्रण कर किसानों को निचोड़ते हैं, उन पर नियंत्रण सरकारी रेट व सरकारी खरीद से ही किया जा सकता है. मानव अधिकार कार्यकर्ता रिंकू परिहार ने कहा कि कृषि से संबंधित तीनों विधेयक वापस होने चाहिए. किसान महासभा के जिला अध्यक्ष गौतम लाल मीणा ने कहा कि नए कानून ठेका खेती शुरू कराएंगे, जिसमें कारपोरेट छोटे किसानों की जमीनें एकत्र कराकर उन्हें ठेके में बांध लेंगे, उन्हें मंहगी लागत के सामान खरीदने तथा अपनी फसल पूर्व निर्धारित दाम पर बेचने के लिए मजबूर करेंगे. भाकपा(माले) के सलूम्बर लोकल कमिटी के सचिव शंकरलाल मीणा ने कहा कि लागत पर नियंत्रण करके कंपनियां मनचाही फसलों की पैदावार कराएंगी और सरकारी नियंत्रण न होने से आयात करने व निर्यात करने के लिए मुक्त होंगी. किसानों की आत्मनिर्भरता और घट जाएगीवे खेती से बेदखल हो जाएंगे.

 

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