वर्ष - 29
अंक - 25
13-06-2020

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई जांच कराने और भर्ती परीक्षा को रद्द कर पुनः परीक्षा कराने की मांगों को लेकर बीते 10 मई को इलाहाबाद में ज्ञापन देने जा रहे न्याय मोर्चा के संयोजक व आरआईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य और साथियों को पुलिस ने स्वराज भवन के सामने संगठन के कार्यालय में नजरबंद कर दिया.

उल्लेखनीय है कि योगी शासन में जनवरी 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर नकल माफिया की पैठ के आरोप हैं. इसके अलावा, भर्ती परीक्षा से संबंधिात दो मामले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चल रहे हैं. भर्ती परीक्षा के बाद सरकार द्वारा कट-ऑफ बदल देने के प्रसंग में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सरकार के पक्ष में दिये गए हाल के फैसले के खिलाफ, शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, जबकि परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों को लेकर, जिनके एक से अधिक जवाब हो सकते हैं, एक मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रहा है. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जहां पूरी भर्ती पर ही स्थगनादेश जारी किया है, वहीं शीर्ष अदालत ने 69000 में से करीब 37000 पदों पर भर्ती रोक दी है.

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संयोजक सुनील मौर्य ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़े छात्रा चाहते हैं कि परीक्षा में हुए व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त नकल माफियाओं को सबक मिले और भविष्य में किसी भी भर्ती परीक्षा का पेपर आउट न हो सके. लेकिन सरकार छात्रों की मांगों पर ध्यान देने के बजाय दमन पर उतारू है और छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम से पूर्व ही कर्नलगंज कोतवाली के सीओ (पुलिस) ने आकर धमकाते हुए कहा कि यदि आप बाहर निकलते हैं तो आपको महामारी एक्ट में जेल भेज दिया जाएगा. यहां पुलिस लगाई जाएगी और ज्ञापन देने के लिए बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा. इसके बाद पुलिस विभाग के कई लोग वहां पर आ गए और तब तक रहे, जब तक उनको भरोसा नहीं हो गया कि अब कोई कार्यक्रम नहीं होगा. बाद में प्रशासन ने वहीं पर ज्ञापन भी लिया.

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गाजीपुर में इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ताओं ने तुलसीसागर लंका जिला कार्यालय तथा जमानियां के देवमती मार्डन स्कूल (खानपुर) में धरना देकर आवाज उठाई. गाजीपुर कार्यालय पर नौजवानों को सम्बोधित करते हुए इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य मनोज कुशवाहा ने कहा कि शिक्षक भर्ती प्रकिया ने योगी सरकार के भ्रष्टाचार-मुक्त उतर प्रदेश की पोल खोल दी है. वायरल आंसरसीट की जांच रिपोर्ट का क्या हुआ, योगी सरकार बताने से बच रही है.

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जमानिया में अमरजीत मौर्य ने धरने पर कहा कि देश में महामारी के चलते 12 करोड़ से ज्यादा युवा प्रवासी बेरोजगार हुए हैं. एटलस साइकिल कारखाना बंद होने से बड़ी तादाद में युवा बेरोजगार हुए हैं. वहीं कर्नाटक में कपड़ा कंपनी बंद होने से हजारों कामगार आन्दोलन के रास्ते पर हैं. उन्होने प्रवासी मजदूरों समेत सभी बेरोजगारों को सम्मानजनक रोजगार देने तथा दस हजार रुपये हर महीने गुजारा भत्ता देने की मांग उठाई.

न्याय मोर्चा के प्रदेशव्यापी आह्वान पर देवरिया, रायबरेली समेत कई जिलों में युवाओं द्वारा प्रतिवाद दर्ज कराया गया.

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इसके एक दिन पहले आइसा ने 9 जून को इलाहाबाद में अपने कर्नलगंज स्थित कार्यालय पर शिक्षक भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार के शिकार अभ्यर्थियों के साथ विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में शामिल आइसा उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा कि 6 जनवरी 2019 को हुई भर्ती परीक्षा से पहले ही उत्तर कुंजी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थी. उसी समय आइसा ने इस भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग उठाई थी जिसपर एसटीएफ ने कई नकलचियों को गिरफ्तार भी किया था. लेकिन इसके बावजूद यह भर्ती प्रक्रिया जारी रही और अब जब इस भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं व भ्रष्टाचार में भाजपा नेताओं की संलिप्तता सामने आने लगी, तो लाॅकडाउन के बावजूद योगी सरकार ने रिजल्ट जारी कर दिया. आनन-फानन में तीन दिन के ही समय में अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराकर इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. जांच होने पर इसमें शामिल बड़े-बड़े मंत्रियों के हाथ सामने आएंगे. एमआरसी के नाम पर एक ही वर्ग के अभ्यर्थियों को आपस मे लड़ाया और इसकी आड़ में सीटें भाजपा नेता के रिश्तेदारों व पैसेवालों को बेच दीं. प्रदर्शन के दौरान पीड़ित अभ्यर्थियों ने कहा कि यदि परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव को योगी सरकार ने बर्खास्त नहीं किया, तो लाॅकडाउन में ही बड़ा आंदोलन करने को छात्र मजबूर होंगे.