वर्ष - 28
15-06-2020

23 मार्च को लाॅकडाउन घोषित किये जाने के बाद से राज्य सरकारों एवं अधिकारियों का रवैया गैर-जिम्मेदाराना रहा है. उन्होंने मजदूरों को उनकी दुर्दशा के हवाले और नागरिक समाज की संवेदना के भरोसे छोड़ दिया. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में दुर्दशाग्रस्त मजदूरों तक पहुंचने और उन्हें सहारा देने के लिये जिला सचिवों और नेतृत्वकारी कामरेडों को लेकर स्थानीय स्तर पर ग्रुप बनाये गये हैं. शुरूआत में तेलंगाना के सरकारी अधिकारियों को ट्विटर के जरिये जरूरतमंद लोगों के बारे में बताया जाता था, और हम लोग सरकारी हेल्पलाइन नम्बर तथा नोडल अधिकारियों से फोन पर बातचीत करके उनकी जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करते थे. चूंकि अधिकारी लोग अक्सर हमारे फोन को रिसीव करने और लोगों की जरूरतों को पूरा करने में बहुत वक्त लगा देते थे, इसलिये हमने दूसरे राज्यों के पफंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिये स्वयंसेवी संगठनों एवं अन्य हस्तियों की मदद ली. हमने कुछेक इलाकों में लाॅकडाउन के चलते फंस गये लोगों की मदद करने के लिये कम्युनिटी किचेन की भी मदद ली है. ज्यादातर हमने उन्हीं मामलों का समाधान किया है जिनके बारे में हमें केन्द्रीय हेल्पलाइन ग्रुप तथा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार और झारखंड आदि विभिन्न राज्यों के कामरेडों ने बताया. हमें राज्य के अंदर के प्रवासी मजदूरों ने भी फोन से सम्पर्क किया जो आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम एजेन्सी एरिया तथा पूर्व गोदावरी जिलों से है. दराबाद एवं अन्य जगहों में चले आये थे.

इस दौर में हम समूचे देश से आये और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फंसे 1200 से अधिक मजदूरों तक पहुंच सके, और हमने उनकी मदद की. यहां जो निर्माण मजदूर कार्यरत हैं उनको राज्यों के श्रमिक कल्याण बोर्डों द्वारा पहचान पत्र जारी किये गये हैं. अन्य प्रवासी मजदूरों को कोई पहचान पत्र नहीं मिला. पार्टी कामरेडों ने आंध्र प्रदेश के पूर्व गोदावरी जिले के कुछेक गांवों में सब्जियां और राशन पहुंचाने की जिम्मेवारी भी निभाई.

– उदय किरन