वर्ष - 29
अंक - 20
09-05-2020

पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल प्रखंड में गांव है -- सिरिसिया. यह गांव लौकरिया पंचायत में है. विगत 25 अप्रैल को गांव की आठ वर्षीय बच्ची तेजा कुमारी की भूख से मौत हो गई. आधार से राशन कार्ड के लिंक न होने के कारण तेजा और उसके परिवार को राशन नहीं मिल रहा था.

तेजा कुमारी के पिता सोनालाल पासवान उत्तराखण्ड में मज़दूरी का काम करते हैं. उनके पत्नी की कुछ वर्षों पहले ही मृत्यु हो चुकी है. घर पर बूढ़ी मां जिनकी उम्र 65-70 वर्ष के बीच होगी और चार नाबालिग बच्चे हैं. बूढ़ी मां ही बच्चों का लालन-पालन करती हैं. सोनालाल की कमाई से ही घर-परिवार चलता है. इस परिवार के पास आमदनी व जीविका का दूसरा कोई जरिया नहीं है.

लाॅकडाउन के साथ ही सोनालाल की मजदूरी छीन गई और घर पर पैसा भेजना बंद हो गया. राशन कार्ड आधार से लिंक नही है इसलिए डीलर ने भी राशन नहीं दिया. परिवार भूखमरी की हालत में चला गया और नतीजतन, 25 अप्रैल को बड़ी बेटी तेजा कुमारी भूख से तड़प कर मर गई. बूढ़ी मां और बाकी तीनों बच्चे भी मौत के कगार तक जा पहुंचे हैं.

गाद सिरिसिया गांव के दलित-आदिवासी समुदाय के करीब 30 परिवारों के पास राशन कार्ड नही है. इसी वजह से उन्हें कोरोना लाॅकडाउन के डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी राशन नही मिला है. पंचायत के मुखिया अनिल सिंह इतने दबंग हैं कि वे अनेकों तरह के प्रशासनिक व राजनितिक चाल चल कर गरीब लोगों का राशन कार्ड नही बनने देते हैं. वजह यह है कि गरीब लोग पंचायत चुनाव में उनको वोट नही दिए थे. इसलिए वे राजनितिक विद्वेष से काम करते हैं. पंचायत के सभी डीलर उनके इशारे पर मनमानी ढंग से राशन वितरण करते है. जिनके पास राशन कार्ड है उनको भी राशन नही देते हैं या कभी-कभार देते हैं. वे वजन भी सही नही देते हैं और दाम से ज्यादा रूपये वसूल करते हैं.

राशन कार्ड आधार से लिंक न होने की वजह से जिन बहुत से कार्ड धारियों को मार्च महीने का राशन नहीं मिला, उसमें यह परिवार भी शामिल है. इसकी जवाबदेही भी डीलर या सरकारी कर्मियों की ही है.

कई दिनों बाद इस दुःखद मौत की उड़ती खबर ऐपवा नेत्री का. देवंती देवी को मिली जो गांव के ही दूसरे टोले की निवासी हैं. तुरत ही उन्होंने परिवार को अनाज व राहत पहुंचाई. भाकपा(माले) ने जब इस मौत को मुद्दा बनाया तब जाकर घटना के कई दिनों बाद 10 मई को एसडीओ व बीडीयो समेत सरकारी टीम गांव में पहुंची.