वर्ष - 29
अंक - 20
09-05-2020

बिहार में वाम दलों - भाकपा(माले), भाकपा, माकपा, आरएसपी और फाॅरवर्ड ब्लाॅक ने प्रवासी बिहारी मजदूरों की सुरक्षित व पीएम केयर फंड के खर्चे से घर वापसी की जोरदार मांग करते हुए विगत 5 मई को जो सर्वहारा क्रांति के प्रणेता व दुनिया में समाजवाद की स्थापना के स्वप्नदर्शी कार्ल मार्क्स का 202 वां जन्मदिवस भी था, राज्य भर में लाॅकडाउन की स्थितियों से जूझते व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घरों व सार्वजनिक स्थानों पर तख्तियों, बैनरों व नारों के साथ धरना व प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया.

पटना स्थित पार्टी राज्य कार्यालय में भाकपा(माले) राज्य सचिव का. कुणाल, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, माले के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन और समकालीन लोकयुद्ध के संपादक बृजबिहारी पांडेय, सह संपादक संतोष सहर व प्रदीप झा, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, जितेंद्र कुमार व प्रकाश आदि नेताओं ने शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए धरना दिया. चितकोहरा में पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव, मुर्तजा अली, आबिदा खातून, अपने आवास पर वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, कुर्जी में अनिता सिन्हा आदि नेताओं ने धरना दिया.

राज्य कार्यालय में सबसे पहले नेताओं ने कार्ल मार्क्स की जयंती पर उनके जीवन व संघर्षों को याद किया और इस मौके पर पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा लिखित आलेख का पाठ किया गया.

पटना शहर के बारह अलग अलग स्थानों पर धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया. कंकड़बाग में नगर कमेटी सदस्य पन्नालाल सिंह के घर में आयोजित धरना में पन्नालाल सिंह, अशोक कुमार, अनुराधा देवी, श्याम प्रसाद साव, अरविंद प्रसाद, उपेंद्र प्रसाद, उमेश शर्मा आदि माले नेता शामिल रहे.

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दीघा में माले नेता राम कल्याण सिंह के निवास पर आयोजित धरना में राम कल्याण सिंह, कृष्णा राय, वशिष्ठ यादव, मीना देवी और किरण देवी और आशियाना नगर स्थित भोला पासवान शास्त्री भवन में निर्माण मजदूर यूनियन नेता धर्मेन्द्र कुमार के निवास पर आयोजित धरना में धर्मेन्द्र कुमार, मिलन मांझी, अनील दास, रेखा देवी, देवन्ती देवी आदि माले कार्यकर्ताओं हिस्सा लिया.

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चितकोहरा स्थित भाकपा(माले) कार्यालय में पार्टी के पोलितब्यूरो सदस्य सह खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, माले केंद्रीय कमेटी सदस्य सह ऐक्टू व आशा नेत्री शशि यादव, माले सह ऑटो रिक्शा-टेम्पो चालक संघ (ऐक्टू) के महासचिव मुर्तजा अली, आबिदा खातून, कृष्ण कुमार सिन्हा आदि नेताओं ने धरना दिया. मंदिरी पार्टी ब्रांच द्वारा इनौस नेता विनय कुमार के घर पर धरना दिया गया जिसमें विनय के अलावा पुनीत पाठक आदि ने भाग लिया.

माले के वरिष्ठ नेता केडी यादव तथा संजय यादव ने दरोगा राय पथ (पटना) स्थित अखिल भारतीय किसान महासभा राज्य कार्यालय में धरना दिया. वहीं पटना सिटी में पार्टी कार्यालय पर सिटी सचिव नसीम अंसारी, अनय मेहता, उमेश व शम्भू नाथ मेहता ने अपने-अपने घर पर धरना दिया.

पटना ग्रामीण जिले के धनरूआ, फतुहा, फुलवारी, मसौढ़ी, दुल्हिजनबाजार, विक्रम, पालीगंज, बिहटा आदि प्रखंडों के सैंकड़ों गांवों में धरना हुआ. पटना सदर प्रखंड के फतेहपुर गांव में उमेश सिंह, अवध किशोर सिंह, विनय सिंह एवं शर्मिला देवी ने धरना दिया. धनरूआ में खेग्रामस राज्य सचिव का. गोपाल रविदास के नेतृत्व में धरना हुआ.

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भोजपुर में पार्टी जिला कार्यालय में विधायक सुदामा प्रसाद, जिला सचिव जवाहर लाल सिंह के नेतृत्व में धरना दिया गया. तरारी प्रखंड के विभिन्न गांवों में भी धरना हुआअगिआंव, पीरो, सहार, कोइलवर, गड़हनी, संदेश, बिहिया आदि तमाम प्रखंड मुख्यालयों व गांवों में धरना हुआ. शाहपुर के बेलवानिया, उदवंतनगर के छोटकी सासाराम, अगिआंव प्रखंड के बड़गांव व मुदफ्रफरपुर में धरना दिया गया. गड़हनी प्रखंड के काउप गांव में धरना दिया गया जिसमें पंचायत सचिव भीम पासवान, काउप मुखिया कलावती देवी, आइसा के उज्जवल भारती, रितेश गुप्ता, पिंटू पासवान, राजेश गुप्ता शामिल हुए. जगदीशपुर में भी सभी मजदूरों की सकुशल घर वापसी को लेकर धरना का आयोजन किया गया. भोजपुर के तरारी प्रखंड के बसौरी पंचायत के लबना गांव में माले नेता मो. जमाल अशरफ, मो. मैनुद्दीन, मो. अली हसन, ललन चौधरी, राम गति चौधरी, रामआसरे, मुन्नी देवी, मोटू शाह, नईम शाह, हुस्ना खातून, नजमा खातून, सैयद फरहान आलम आदि के नेतृत्व में सभी गरीब लोग धरना पर बैठे हैं. तरारी के गंगटी गांव में भी धरना दिया गया.

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पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में माकपा (जिला) कार्यालय पर भाकपा(माले) व अन्य वाम दलों के नेताओं ने धरना दिया. इसमें माले के वरीय नेता भैरव दयाल सिंह व विष्णुदेव यादव ने भाग लिया. समस्तीपुर के ताजपुर में इनौस व किसान सभा के भी नेता धरना में शामिल हुए. उन्होंने उपर्युक्त मांगों के अलावा किसानों की बर्बाद फसलों के मुआवजे की राशि व अन्य मांगों को भी उठाया.

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अरवल में जिला कार्यालय पर पार्टी जिला सचिव महानंद, कलेर में राज्य कमेटी सदस्य जितेन्द्र यादव और करपी में खेग्रामस नेता उपेन्द्र पासवान के नेतृत्व में धरना दिया गया. कलेर प्रखंड के सरवरपुर गांव में 5 मई को धरना दिया गया जिसमें भाकपा(माले) नेता त्यागी जी, जितेन्द्र यादव, अवधेश दास, अजय दास व अन्य लोग उपस्थित हुए.

जहानाबाद में माले जिला कार्यालय पर रामजतन शर्मा, रामबलि सिंह यादव, श्रीनिवास शर्मा आदि नेताओं ने भाग लिया. निघवां में किसान सभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह ने धरना दिया. गया में निरंजन कुमार व रीता वर्णवाल ने धरना दिया. नवादा में सावित्री देवी के नेतृत्व में धरना हुआ.

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मुजफ्फरपुर में जिला कार्यालय में कार्ल मार्क्स की 202वीं जयंती पर उन्हें सलामी व श्रद्धांजलि देने के साथ प्रवासी मजदूरों के सवाल पर धरना दिया गया. वाम दलों ने कई शहरों और दर्जनों गांव-पंचायतों में भी धरना देकर जो भी प्रवासी मजदूर वापस लौटना चाहते हैं उन्हें सरकारी खर्च पर अविलंब घर पहुंचाने की गारंटी करने की मांग की.

भाकपा(माले) जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी कार्यालय सचिव सकल ठाकुर, प्रो अरविंद कुमार डे, स्वाधीन दास, आफताब आलम, राजकिशोर प्रसाद, अकबर आजम सिद्दीकी, मो. एजाज सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. शहर के अन्य मुहल्लों में आयोजित धरना में माले जिला सचिव कृष्णमोहन, इंकलाबी नौजवान सभा के जिला सचिव राहुल कुमार सिंह, ऐपवा की निर्मला सिंह, मुशहरी में पार्टी प्रखंड सचिव शत्रुघ्न सहनी, गायघाट में प्रखंड सचिव जितेन्द्र यादव, बंदरा में प्रखंड सचिव रामबली मेहता, बोचहां में प्रखंड सचिव रामबालक सहनी, रामनंदन पासवान व वीरेन्द्र पासवान, कुढ़नी में प्रखंड संयोजक होरिल राय, साहेबगंज में प्रखंड संयोजक विश्वकर्मा शर्मा, औराई में ऐक्टू के जिला संयोजक मनोज यादव, सकरा में प्रखंड सचिव सुरेश यादव व रसोइया संघ के जिला सचिव परशुराम पाठक के नेतृत्व में दर्जनों गांव-पंचायतों में प्रवासी मजदूरों के सवाल पर धरना दिया गया.

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दरभंगा पार्टी जिला कार्यालय में धरना का आयोजन किया गया. धरना को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि आज पूरा देश कोरोना महामारी झेल रहा है. लेकिन मोदी सरकार इस महामारी में भी गरीबों पर आर्थिक बोझ लाद रही है. उन्होंने सूरत में प्रवासी मजदूरों पर लाठी चार्ज की निंदा की. इस अवसर पर इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, वरिष्ठ नेता आरके सहनी व लक्ष्मी पासवान, शिवन यादव, गंगा मंडल, प्रिंस राज, रानी शर्मा मौजूद थे.

इसके अलावा बहादुरपुर में अभिषेक कुमार, गणेश महतो, मो. जमालुद्दीन व हरि पासवान; सदर में अशोक पासवान, शनिचरी देवी व रसीदा खातुन अलीनगर में अवधेश सिंह व मो. शौकत, केवटी में धर्मेश यादव, जाले में देवेन्द्र कुमार व ललन पासवान के नेतृत्व में दर्जनों जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. जाले संघिनियां में संजय यादव तथा लक्ष्मीसागर में वंदना कुमारी, गुलाब कुमार, कल्पना कुमारी एवं अभिनव कुमार आदि ने धरना दिया.

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सहरसा में प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी की मांग को लेकर भाकपा जिला कार्यालय में वाम दलों के नेता गण ने धरना दिया. इस मौके पर भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण यादव, जिला सचिव विजय कु. यादव, माकपा जिला सचिव रणधीर यादव, भाकपा(माले) जिला सचिव ललन यादव, मनरेगा मजदूर सभा के नेता रमेश शर्मा, एटक नेता प्रभुलाल दास आदि शामिल थे. वहीं सत्तर कटैया के नंदलाली में खेग्रामस के राष्ट्रीय पार्षद विक्की राम, फूलचंद राम आदि शामिल हुए.

नालन्दा जिला में विभिन्न प्रखंडों में 22 स्थानों पर धरना दिया गया. कराय प्रखंड के जलालपुर पार्टी कार्यालय में धरने का नेतृत्व का. रवीन्द्र पासवान व अन्य साथियों ने किया. हिलसा प्रखंड में तीन जगहों पर हुए धरना का नेतृत्व का. जयप्रकाश पासवान, शिवशंकर प्रसाद, प्रमोद यादव, कलंदर पासवान आदि ने किया. इस्लामपुर प्रखंड के पार्टी प्रखंड कार्यालय समेत सात जगहों पर आयोजित धरने का नेतृत्व का. उमेश पासवान, शत्रुघ्न कुमार, रणविजय जी, मोइमरान, रामाधीन चौहान आदि ने किया. चंडी प्रखंड में रामदास अकेला, वीरेश कुमार आदि के नेतृत्व में कछियावां के अलावा दो अन्य गांवों में धरना हुआ. थरथरी प्रखंड के श्रीनगर और धरमपुर में कार्यक्रम का नेतृत्व का. मुन्नीलाल यादव और अन्य साथियों ने किया. सिलाव प्रखंड में फतेहपुर और गोरमा पंचायत के जतनपुर में धरने का नेतृत्व काचन्द्रदीप रविदास, उमेश मांझी, शौकीन मांझी, मुकेश पासवान, रधिया देवी, विमला देवी आदि ने किया. बिहारशरीफ प्रखंड स्थित पार्टी जिला कार्यालय व तेतरावां गांव में का. मकसूदन शर्मा और सुनील कुमार के नेतृत्व में धरना चला. पार्टी जिला सचिव का. सुरेन्द्र राम अपने गांव में धरने पर बैठे.

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पूर्वी चंपारण के दर्जनों स्थानों पर भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं-नेताओं ने धरना देकर प्रवासी मजदूरों एवं छात्रों की सकुशल घर वापसी की मांग की. मोतिहारी में माकपा के जिला कार्यालय में भाकपा(माले) के वरीय नेता कामरेड भैरव दयाल सिंह की अध्यक्षता में धरना हुआ जिसे भाकपा(माले) के विष्णुदेव प्रसाद यादव, अच्युतानंद पटेल व जीतेन्द्र गुप्ता; माकपा के रामाश्रय सिंह व सुधीर कुमार तथा भाकपा के रामबचन तिवारी, शम्भू शरण सिंह और विजय शंकर सिंह आदि नेताओं ने संबोधित किया.

का. राघव साह मजुराहां स्थित अपने आवास, जिला सचिव प्रभुदेव यादव, रूपलाल शर्मा व मोहन राम नारायण चौक कार्यालय, जीतलाल साहनी, उपेंद्र साहनी, अमानतुल्लाह अंसारी, अनुज पासवान, दीनानाथ राम छौड़ादानो के दरपा गांव और राजेश कुमार हरसिद्धि के मानिकपुर गांव में धरना पर बैठे. जिला कार्यालय में भी धरना आयोजित हुआ.

प. चंपारण के बैरिया पार्टी कार्यालय पर भाकपा(माले) नेता सुनील कुमार राव, इनौस नेता सुरेंद्र चौधरी और कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नवीन कुमार ने धरना दिया. बगहां प्रखंड में भी धरना दिया गया जिसमें ताजुद्दीन जी, रामचंदर राम, बिंदा देवी और परशुराम यादव आदि शामिल हुए.

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सुपौल के त्रिवेणीगंज प्रखंड के शिवनगर (लतौना दक्षिण पंचायत) में माले जिला सचिव जयनारायण यादव के आवास पर कार्ल मार्क्स का जन्म दिन मनाया गया. धरना में आइसा नेता संतोष कुमार सीयोटा, मनोज यादव, बोखन यादव, मिठु कुमार, रोशन राणा, सुधीर कुमार आदि शामिल रहे. सुपौल शहर के वार्ड नं. 16 में वरिष्ठ माले नेता का. सत्यनारायण मुखिया की अध्यक्षता में उनके आवास पर धरना दिया गया जिसे अरविंद कुमार शर्मा, का. नज्जो, मन्नान, गजेंद्र पंडित, उपेंद्र सदा, नीलम देवी, लीला देवी आदि ने संबोधित किया.

सहरसा में वामपंथी दलों ने भाकपा कार्यालय में धरना पार्षद वकील यादव व कुंदन यादव शामिल थे.

औरंगाबाद के चपरा (ओबरा) में भाकपा(माले) के जिला सचिव मुनारिक राम के नेतृत्व में ग्रामीण मजदूरों ने धरना में दिया. कामरेड मुनारिक राम ने कहा कि जनांदोलनों के दबाव में केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर भेजने पर तो सहमत हुई, लेकिन अपने आधिकारिक नोटिफिकेशन में वह छलावा कर रही है. ऐसा लगता है जैसे मजदूर आदमी नहीं, पूंजीपतियों के बंधुआ मजदूर हैं. उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा जारी प्रवास मजदूरों के लिए किराया देने वाले बयान को भी भ्रामक बताया.

कैमूर में भभुआ प्रखंड के रतवार में पार्टी जिला सचिव विजय यादव, लोकनाथ राम व नयनतारा देवी; पार्टी जिला कार्यालय में कार्यालय सचिव मोरध्वज सिंह, शकुंतला देवी, अंकिता कुमारी, आकांक्षा कुमारी व धर्मवीर सिंह; खनाव में जयप्रकाश व हिरावती देवी ने धरना दिया. अन्य स्थानों पर भी अनेक पार्टी कार्यकर्ता धरने पर बैठे.

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कटिहार के बारसोई में पार्टी के केंद्रीय कमेटी सदस्य और भाकपा(माले) विधायक दल के नेता कामरेड महबूब आलम ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया. इस कार्यक्रम में कामरेड मिथुन यादव, शिव कुमार यादव, सोनू यादव, यासीन साहब, आकाश यादव, उदय यादव आदि कई लोग शामिल थे.

सिवान के जिला पार्टी कार्यालय में केंद्रीय कमेटी सदस्य नईमुद्दीन अंसारी, विधायक सत्यदेव राम, कार्यालय सचिव प्रदीप कुशवाहा, और छात्रा नेता विकाश यादव के नेतृत्व में धरना कार्यक्रम किया गया. नौतन प्रखंड में पार्टी के प्रखंड सचिव व जिला पार्षद सोहिला गुप्ता के नेतृत्व में विभिन्न पंचायतों में धरना दिया गया. खलवा पंचायत में बालकेश्वर यादव, अंगौता पंचायत में शास्त्री राम, नरकटिया पंचायत में ओसिया शाह, मुरारपट्टी पंचायत में मदन यादव और बसदेवा में दीनदयाल जी के नेतृत्व में धरना चला.

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भागलपुर शहर में सुरखीकल स्थित निर्माण मजदूर यूनियन के जिला कार्यालय में धरना से पूर्व कार्ल मार्क्स की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनकी 202वीं जयंती मानायी गई. शहर के भीखनपुर स्थित भाकपा जिला कार्यालय में संयुक्त धरना दिया जिसमें भाकपा(माले) की ओर से ऐक्टू के राज्य सचिव व पार्टी नगर प्रभारी मुकेश मुक्त व नगर कमेटी सदस्य अमित गुप्ता शामिल हुए. शाहकुण्ड प्रखंड में 5 प्रवासी मजदूर जो पार्टी की मदद से यूपी के एटा से अपने घर कमलपुर, शाहकुण्ड पहुंचे थे, खुद अपनी पहलकदमी से धरना में शामिल हुए और पार्टी से जुड़ने की इच्छा जताईजिले में कुल 23 स्थानों पर आयोजित धरना में करीब 125 पार्टी नेता-कार्यकर्ता व समर्थक मजदूर शामिल हुए.

जमुई जिला के चकाई प्रखंड, मधुबनी के रहिका स्थित प्रखंड व बेगुसराय में जिला पार्टी कार्यालय पर धरना दिया गया. सारण, पूर्णियां, वैशाली, गोपालगंज, बक्सर, अररिया, औरंगाबाद और रोहतास आदि जिलों में भी कई जगह धरना आयोजित हुआ.

 

राज्यव्यापी धरना की मांगें

यह मांग की गई कि प्रवासी मजदूरों से भाड़ा वसूलने के घोर अमानवीय आचरण करने के बजाय सरकार प्रवासियों को घर पहुंचाने में पीएम केयर फंड की राशि का उपयोग करे, 10 हजार रुपया लाॅकडाउन भत्ता, बिना कार्ड वाले सहित सभी गरीबों को 3 महीने के राशन, काम की गारंटी और मारे गए मजदूरों के लिए 20 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग जोरदार स्वर में उठाई गई.

पार्टी नेताओं ने क्या कहा?

राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा कि जनांदोलनों के दवाब में केंद सरकार प्रवासी मजदूरों और छात्रों को घर भेजने पर तो सहमत हुई, लेकिन आधे मन से. सिपर्फ उन्हीं मजदूरों को वापस आने की इजाजत मिली है जो अचानक हुए लाॅक डाउन के कारण देश के दूसरे हिस्से में फंस गये थे. जो पहले से वहां काम कर रहे हैं, उनको नहीं. सच्चाई यह है कि लाॅकडाउन के बाद फैक्ट्री बंद हो गए और पहले से काम कर रहे मजदूर भी सड़कों पर आ गए हैं.

नीतीश कुमार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए किराया देने वाला बयान भ्रामक और छलावा है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि दूसरे राज्यों से आने के बाद मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा और क्वारंटाइन के बाद जब मजदूर घर जाने लगेंगे उस समय ट्रेन से आने में हुआ खर्च उन्हें दिया जाएगा. मतलब, जो मजदूर अपने पैसे से बिहार लौटेंगे, उनका पैसा ही वापस होगा. जिनके पास पैसा नहीं होगा, वे कैसे लौटेंगे? वे मजदूर जो दाने-दाने को मुहताज हैं. उनसे किराया का पैसा जुटाने को कहना उनके साथ क्रूर मजाक है.

का. धीरेन्द्र झा ने कहा कि बिहार के 40 लाख से ज्यादा मजदूर देश के अन्य दूसरे हिस्से में काम करते हैं. खुद बिहार सरकार 29 लाख मजदूरों के बाहर होने की बात कह रही है. आज वे बेहद नारकीय जीवन जी रहे हैं, लगातार कोरोना के संक्रमण व सामाजिक अपमान का शिकार हो रहे हैं. कर्नाटक में उन्हें ‘कोरोना बम’ कहा जा रहा है. आखिर सरकार उन्हें क्यों नहीं लौटने दे रही है? यह न केवल मजदूरों का बल्कि बिहार का भी अपमान है. ‘डबल इंजन’ की सरकार का क्या हुआ! जब दिल्ली-पटना में एक ही गठबंधन की सरकार है, तब तो मजूदरों को घर पहुंचाने में कोई दिक्कत ही नहीं होनी चाहिए थी.

लाॅकडाउन के नाम पर यह सरकार गरीबों, मजदूरों, किसानों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, दलितों व अल्पसंख्यकों का लगातार शोषण कर रही है. सरकार एक तरफ पूंजीपतियों के तमाम कर्जों को माफ कर रही है, उन्हें तमाम तरह की छूट दे रही है; दूसरी ओर पूरे देश को मजदूरों का कत्लगाह बना रही है. मजदूर सडक पर चलते हुए कुचलकर, रेल पटरी पर कटकर और भूख-प्यास से तड़प कर मर रहे है, उनकी बात कोई सुनने वाला नहीं है. हिंदुस्तान में पहली बार अमीरी-गरीबी का फर्क सड़कों पर साफ-साफ दिखाई दे रहा है. इस फर्क को समझते हुए पीड़ित मजदूरों को जाति व मजहब से ऊपर उठकर गोलबन्द होकर हुक्मरानों व सरमायादारों के निजाम को बदल देना होगा.