वर्ष - 29
अंक - 20
09-05-2020

जहानाबाद जिले में कोटा से बड़ी संख्या में संपन्न घरों के बच्चे लाॅकडाउन के बाद घर आए हैं. उन्हें प्रखंड या पंचायत स्तरीय क्वारेंटाइन सेंटरों में नहीं रखा गया है. इसके बजाय तुरंत ही उनके परिजनों को सूचित करके उन्हें घर में ही अलग रहने (होम क्वारेंटाइन) की सलाह देकर घर भेज दिया गया. लेकिन, जो गरीब पुरुष, महिला और उनके बच्चे आए हैं, उन्हें सरकारी क्वारेंटाइन सेंटर में नारकीय हालत में ठूंस दिया गया है. इन सेंटरों में रहने-खाने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है. जहानाबाद के रामलखन सिंह यादव काॅलेज में बनाया गया नौरू प्रखंड स्तरीय क्वारेंटाइन सेंटर इसका एक उदाहरण है. अन्य सभी क्वारेंटाइन सेंटरों की भी कमोबेश यही स्थिति है. यह अमीरों और गरीबों के लिए भेदभाव वाली कार्रवाई नहीं तो और क्या है?

राम लखन सिंह यादव जहानाबाद प्रखंड स्तरीय क्वारेंटाइन सेंटर में 100 से ज्यादा महिला, पुरुष और बच्चे बंद हैं. रहने वालों ने बताया कि यहां नाश्ता तो मिलता ही नहीं है. दोपहर का खाना पतली सी पाॅलीथिन पैकेट में मिलता है जिससे पेट नहीं भरता है. 5 मई की रात में बासी भात दिया गया था जिसे किसी ने भी नहीं खाया. सभी भूखे पेट रह गए. दूसरे दिन दोपहर में जो खाना आया वह सभी लोगों को नहीं मिला. खाना मांगने पर सीओ ने भद्दी-भद्दी गालियां दीं और पुलिस से पिटाई करवाने और जेल में सड़ा देने की धमकी देकर सबको चुप करा दिया. बच्चे बिलखते रहे, महिलाएं आरजू-मिन्नत करती रहीं और रोती रहीं.

जिले के बाकी क्वारेंटाइन सेंटरों की भी यही स्थिति है जहां बाहर से आए मजदूरों के साथ अंग्रेजी जमाने के जेलों से भी ज्यादा अमानवीय और क्रूर बर्ताव किया जा रहा है. बाहर से आए लोगों के नाम पर आई राशि का बंदरबांट हो रहा है जिसे ‘कोरोना महालूट’ का नाम दिया गया है. अखबारों में जो बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं. उनमें तो क्वारेंटाइन सेंटर के लिए भोजन के अतिरिक्त फल, दूध, बिस्किट आदि भी दिये जाने की भी खबरें होती हैं तथा तथा साफ-सफाई, लाईट, शौचालय आदि तमाम व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही जा रही है. लेकिन, हकीकत में इन सेंटरों की स्थिति बिल्कुल ही भयावह है. इन क्वारेंटाइन सेंटरों की जांच-पड़ताल कर लौटे भाकपा(माले) नेताओं का तो यह भी कहना है कि जिस दिन से माननीय सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी ने जिलाधिकारी से वीडियो काॅन्प्रफेंसिंग की है, उस दिन के बाद से ही क्वारेंटाइन सेंटरों में लूट और मनमानी ज्यादा तेज हो गई है. बढ़ते विरोध को देखते हुए क्वारंटीन सेंटरों की सुरक्षा के नाम पर पुलिस की भारी-बंदोबस्त की जा रही है. लेकिन असली मकसद है कि महालूट का पोल नहीं खुले और सरकारी पाप और दमन का भंडाफोड़ नहीं हो. इस तरह से सुरक्षा के बहाने अन्याय पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है .

8 मई को भाकपा(माले) के आह्वान पर जहानाबाद जिले के सैकड़ों गांवों में मजदूर-किसानों ने जिनमें क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों के परिजन भी शामिल थे, इस बदइंतजामी व भेदभाव के विरोध में धरना दिया. धरना के जरिए सभी क्वारेंटाइन सेंटरों पर खाना व रख-रखाव की समुचित व्यवस्था करने, सेंटरों पर मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का बड़ा बोर्ड लगाने, नौरू क्वारेंटाइन सेंटर के प्रभारी जहानाबाद सीओ को निलंबित करने तथा सेंटर में डाले गए लोगों के ब्लड सैंपल की जांच करा कर उन्हें होम क्वारेंटाइन में भेजने समेत कई अन्य मांगे की गईं.

जिले के लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा गांवों में लोगों ने लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए और शारीरिक दूरी के साथ धरना दिया. भाकपा माले जिला कार्यालय जहानाबाद, खिरौटी गढ़, रतुबीघा, परावन, लखावर, काको, नदियावां, कायमगंज, कचनावां, तरहुआ, खसखोरी, पलेया, बिस्टौल, रामदेव चक, गौरापुर, जनकपुर, तिर्रा, रुस्तमपुर, डिहुरी, सरता, दयाली बीघा, आदि गांवों में यह धरना संपन्न हुआ. कामरेड रामजतन शर्मा, रामाधार सिंह, श्रीनिवास शर्मा, रामबली सिंह यादव, श्याम पांडे, मुकेश पासवान, वसी अहमद, लल्लन किशोर आजाद, इंद्रेश पासवान, मुन्ना देवी, अविनाश पासवान, दिलीप बिन्द, दयानंद प्रसाद, योगेंद्र यादव, महेन्द्री देवी, ललन कुमार सिन्हा, प्रभात कुमार, कमलेश कुमार, अशोक कुमार, वेंकटेश शर्मा, संतोष केसरी, पिंकी देवी, सतीश चौधरी आदि नेतागण इन धरनों में शामिल हुए. नेताओं ने यह भी कहा कि क्वारेंटाइन सेंटर पर बेहतर व्यवस्था नहीं हुई तो इसमें बंद किए गए लोगों के परिजन इन सेंटरों के समक्ष आंदोलन करने पर बाध्य होंगे.

नेताओं ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे हों या गरीब घर की महिलाएं कोरोना महामारी के दौर में भी नीतीश सरकार उनके मान-सम्मान को रौंद रही है. महामारी के बहाने गरीबों को हतोत्साहित कर उनकी जायज मांगों को उठाने से रोक रही है. अगर सब कुछ ठीक चल रहा है तो बार-बार सवाल उठाने के बाद भी वहां मिलने वाली सुविधाओं की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है?


बुनियादी मिडिल स्कूल, अगिआंव, भोजपुर

6 मई 2020 को का. मनोज मंजिल के नेतृत्व में चार-सदस्यीय जांच दल ने अगिआंव बुनियादी मिडिल स्कूल क्वारेंटाइन सेंटर का दौरा किया. जांच दल में जय कुमार यादव, माले नेता व मुखिया प्रतिनिधि रमेश यादव तथा इनौस नेता नन्दजी यादव शामिल थे. टीम ने पाया कि इस क्वारेंटाइन सेंटर में गुजरात, पंजाब, दमन द्वीप, दिल्ली, गाजियाबाद, बनारस, झारखंड और मोतिहारी से 55 मजदूर पहुंचे हैं. इनमें दो महिलाएं और उनके चार बच्चे भी शामिल हैं. इस सेंटर में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. महिलाओं के लिए अलग से शौचालय और बाथरूम भी नहीं है. खाने में भी बासी रोटी मिल रही है और पीने के लिए स्वच्छ पानी तक नहीं मिल रहा है. वहां न लाईट है, न पंखा और न ही मच्छरदानी. ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं किया गया है. सेंटर महिलाओं की सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं है.