वर्ष - 28
अंक - 29
06-07-2019

जब से बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता और सरकारी कंपनी ओएनजीसी को कावेरी डेल्टा क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन की संभावना तलाशने की अनुमति दी गई है, वहां के स्थानीय लोग इसके चलते भविष्य में होने वाली भूमि-हड़प, आजीविका के नुकसान तथा पर्यावरण विनाश के खिलाफ प्रतिवाद कर रहे हैं.

अगर इस परियोजना को इजाजत मिल गई तो इससे कुल 3486 वर्ग कि.मी. की जमीन तथा 11 लाख एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि बर्बाद हो जाएगी. इस विनाशकारी परियोजना के खिलाफ कारगर आंदोलन हेतु (अधिकांशतः वाम नेतृत्व वाले) विभिन्न किसान संगठनों ने तंजवुर में 18 जून 2019 को एक मशविरा बैठक आयोजित की. इस बैठक में खेग्रामस एकमात्र संगठन था जो डेल्टा क्षेत्र के खेतिहर व ग्रामीण श्रमिकों का प्रतिनिधित्व कर रहा था. बैठक में डीएमके के एक पूर्व सांसद और पूर्व विधायक के नेतृत्व में इस पार्टी की किसान शाखा ने भी हिस्सा लिया. किसान महासभा के राज्य महासचिव चंद्रमोहन ने इस परियोजना के चलते आजीविका तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभावों की संभावना पर प्रकाश डाला. खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष बालासुंदरम ने अपने वक्तव्य में सवाल उठाया कि इस विनाशकारी परियोजना का मोदी के दावे के साथ कैसे मेल खाता है कि उन्हें “सबका विकास, सबका साथ” के लिए जनादेश मिला है – दरअसल, यह परियोजना सिर्फ वेदांता और इसके सीईओ अनिल अग्रवाल के ‘विकास’ के लिए ही है. तमिलनाडु में जनता का जनादेश स्पष्टतः “मोदी नहीं चाहिए” और इसके साथ ही ‘स्टरलाइट नहीं, 8-लेन काॅरिडोर नहीं, हाइड्रोकार्बन परियोजना नहीं’ के लिए है.

बैठक में कई आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की घोषणा की गई जो 1 जुलाई के बाद शुरू होंगे. इस हाइड्रोकार्बन परियोजना के खिलाफ 23 जून को होने वाले ‘मानव श्रृंखला’ कार्यक्रम को भी समर्थन देने का फैसला लिया गया. खेग्रामस और किसान महासभा के कार्यकर्ता भी इस बैठक में शामिल हुए. इस बैठक के आह्वान पर खेग्रामस, किसान महासभा और भाकपा(माले) ने 23 जून को 8 जिलों तक फैली 600 किमी. लंबी मानव श्रृंखला में शिरकत की.