वर्ष - 28
अंक - 29
06-07-2019

बरसों बाद बिहार विधानसभा में चमकी बुखार के सवाल पर कार्यस्थगन प्रस्ताव को स्वीकृति मिली और सरकार जवाब देने के लिए बाध्य हुई. विगत 28 जून 2019 से आरंभ विधानमंडल के बजट सत्र के पहले ही दिन से भाकपा-माले विधायक दल ने सदन में चमकी बुखार और बिहार में गिरती कानून व्यवस्था के सवाल पर सरकार की हालत खराब कर दी. हालांकि विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन उसके तेवर नरम दिखलाई पड़ रहे हैं. आज जब भाजपा-जदयू सरकार की मुजफ्फरपुर चमकी बुखार के सवाल पर चौतरफा आलोचना हो रही है, तब सत्ता पक्ष यह कहकर अपना बचाव कर रहा है कि विपक्ष की मुख्य पार्टी के नेता कहां हैं? दरअसल, चमकी बुखार और बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल पर सरकार पूरी तरह घिर चुकी है. इसलिए जब 1 जुलाई को दो दिन की छुट्टी के बाद माले विधायक दल ने विधानसभा में चमकी बुखार पर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया और स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे को लेकर जमकर हंगामा किया तब मजबूरी में विधानसभा अध्यक्ष को चमकी बुखार पर सदन में चर्चा करानी पड़ी. बाद में विपक्ष की अन्य पार्टियों ने भी कार्यस्थगन का समर्थन किया.