वर्ष - 28
अंक - 30
13-07-2019

झमाझम बारिश और धान रोपनी के व्यस्त मौसम में विगत 9 जुलाई को भाकपा(माले) ने बगहा व नरकटियागंज में अनुमंडल और मैनाटाड़ व सिकटा में प्रखंड स्तर पर भूमि अधिकार मार्च व सभा आयोजित किया. इसके जरिए अनुमंडलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को बिहार के मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र दिया गया और ‘भू-राजस्व व भूमि सुधार’ विषय पर बिहार विधानसभा सत्र की खानापूर्ती बंद करने, भूमि-माफियाओं, अपराधी गिरोहों और कारपोरेट हितों के लिए गरीबों को जमीन से बेदखली को अविलंब रोकने तथा भूमि के सवाल पर विधानसभा का सात दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई.

जिले के कई गांवों में तीन दशकों से सीलिंग, बेनामी व पर्चा की जमीनें गरीबों की कब्जे में है. वे उस पर खेती-बाड़ी भी करते हैं. जिला प्रशासन, न्यायालय और सरकार की मिलीभगत से भू-माफिया गिरोहों द्वारा उस जमीन से गरीबों को बेदखल किया जा रहा है. जबकि भूमि आयोग की सिफारिश के अनुसार चंपारण में एक लाख सैतीस हजार एकड़ से अधिक भूमि भू-माफियाओ के अवैध कब्जे में है. सरकार भू-माफियाओं का संरक्षक बन गई है.

बिहार विधानसभा के मौजूदा सत्र के दौरान 9 जूलाई को बहुत ही कम समय में अन्य विषयों के साथ भू-राजस्व एवं भूमि सुधार विषय पर चर्चा होनी थी. दरअसल, यह इस समस्या से पिंड छुड़ाकर भागने की फिराक में है.

बारिश व रोपनी के बावजूद गरीबों ने भूमि अधिकार मार्च को सफल बनाने की चुनौती को कबूल किया और भारी तादाद में इसमें शामिल हुए. केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बगहा, खेग्रामस के राज्य परिषद सदस्य मुखतार मियां ने नरकटियागंज, किसान नेता इंद्रदेव कुशवाहा व अच्छेलाल पासवान ने मैनाटाड़ में भूमि अधिकार मार्च का नेतृत्व किया. पश्चिमी चंपारण में बड़े सामंती इस्टेटों के पास हजारों एकड़ जमीन है. हरिनगर चीनी मिल 5000 एकड़ जमीन अवैध रूप से रखे हुए है. रामनगर राजा की जमीन पर पटना हाईकोर्ट का फैसला आए छह माह से अधिक समय बीत चुका है लेकिन जिला प्रशासन गरीबों को जमीन पर दखल दिलाने नहीं आया.

लेकिन जब गरीब ऐसी जमीनों पर खेती करने जाते हैं तो पुलिस तुरत वहां पहुंचकर उन्हें रोक देती है. मैनाटाड प्रखंड के चिउटहां गांव में पुलिस प्रशासन के साथ-साथ अपराधियों ने गरीबों को जमीन से बेदखल करने के लिए आतंक मचा रखा है. जिला प्रशासन भी अपराधियो के पक्ष में पूरा तत्पर है और फर्जी जमाबंदी बनाने, अवैध रजिस्ट्री को मान्यता देने, न्यायालय के फैसले की गलत व्याख्या करने, कई सौ गरीबों पर दर्जनों झूठे मुकदमे करने जैसे अनेक कदम उठाते रहता है. ऐसे ही बगहा-2 प्रखंड में आदिवासियों व गरीब किसानों के नेता पारस महतो को गिरफ्तार किया गया. उनको पुश्तैनी भूमि से भी बेदखल किया जा रहा है. बाघ संरक्षण कानून के बहाने वन अधिकार कानून को यहां निरस्त कर दिया गया है और हजारों आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने का अभियान चल रहा है.

बाल्मीकि नगर के शिवपुरी मोहल्ला के लोगों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए जमीन खाली करने की नोटिस दी गई है, जबकि सरकार बसावट वाली जमीन के बदले खाली जमीन को अधिकृत कर सकती है बेतिया राज की जमीन पर बसे लोगों को अधिकार देने के लिए कानून नहीं बनाया जा रहा है उल्टे गरीबों को ही उजाड़ने की धमकी दी जा रही है। ऐसी ही स्थिति में भमि अधिकार मार्च ने जिले के भूमि विवादों को हल करने के लिए चम्पारण लैंड टिंब्यूनल गठित करने की भी जोरदार मांग उठायी है.