वर्ष - 28
अंक - 30
13-07-2019

कामरेड सुदर्शन बोस, जिनको पश्चिम बंगाल में उनके लोकप्रिय पार्टी नाम ‘अनल दा’ कहकर पुकारा जाता था, का 5 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के रानाघाट स्थित उनके निवास स्थान में कैंसर के असाध्य रोग से देहांत हो गया. वे 74 वर्ष के थे.

कामरेड सुदर्शन बोस (घरेलू नाम नारु दा) 1966 में दुर्गापुर स्टील प्लांट में क्रेन आॅपरेटर के बतौर काम करने लगे थे. 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरूआत में वे स्टील प्लांट में श्रमिक आंदोलन में सक्रिय थे. इसी बीच वे नक्सलबाड़ी से प्रभावित होकर भाकपा(माले) से जुड़ गये. उन दिनों दुर्गापुर के पार्टी संगठन के सचिव का. विनोद मिश्र थे. 1970 के दशक के प्रथमार्ध में दुर्गापुर से कई मजदूर कामरेड अपनी नौकरी व सुख-सुविधाओं को छोड करपेशेवर क्रांतिकारी बनकर किसानों से एकरूप होने के लिये देहाती क्षेत्र में चले गये थे. एक अरसे तक मजदूरों के बीच क्रांतिकारी राजनीति के प्रचार और पार्टी निर्माण के बाद कामरेड नारु पूर्णकालिक पार्टी संगठक बन गये. वे भूमिगत दौर में कामरेड चारु मजुमदार की संकलित रचनाओं को छपाते हुए 1974 में गिरफ्तार हुए और उन पर मीसा लगाया गया. जेल से छूटने के बाद वे ग्रामीण क्षेत्र में काम करने लगे.

कामरेड सुदर्शन बोस लम्बे अरसे तक भाकपा(माले) की पश्चिम बंगाल राज्य कमेटी के सदस्य रहे और उन्होंने मालदह, बांकुड़ा, हावड़ा, कोलकाता, उत्तर 24-परगना, नदिया जिलों में प्रभारी के बतौर अपनी भूमिका निभाई. इस दौर में मजदूरों, खासकर जूट मजदूरों के बीच ट्रेड यूनियन व पार्टी निर्माण में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही. वे पार्टी राज्य कार्यालय के प्रभारी के बतौर भी कार्यरत रहे. वे अत्यंत विनम्र स्वभाव के थे और हमेशा साथियों की हर किस्म की मदद करने को तैयार रहते थे. कामरेड सुदर्शन बहुत कठिन परिस्थितियों में भी पार्टी लाइन पर दृढ़ रहे और पार्टी पुनर्गठन के दौर में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई थी. चुपचाप अत्यंत कठोर परिश्रम करने वाले कामरेड सुदर्शन पार्टी साथियों के बीच अत्यंत जनप्रिय थे. ऐसे वरिष्ठ कामरेड का निधन पार्टी की बड़ी क्षति है. उनके अधूरे काम को पूरा करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा. हम इस शोक में उनके परिजनों एवं समूची पार्टी के साथ हिस्सेदार हैं.

का. सुदर्शन बोस को लाल सलाम!