वर्ष - 28
अंक - 18
20-04-2019

मद्रास हाई कोर्ट की एक डिविजन बेंच ने तमिलनाडु में मोदी सरकार की चर्चित भारतमला परियोजना के लिए जबरन किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने राज्य के किसानों और अन्य नागरिकों की इस बात को सही माना कि सलेम चेन्नै 8-लेन एक्सप्रेस वे की योजना मनमाने ढंग से बनाई गई है और उसे बलपूर्वक लागू किया जा रहा है. इस परियोजना की घोषणा सबसे पहले फरवरी 2018 में एक प्रेस कंफ्रेंस में की गई थी, जिसे केंद्रीय पथ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्य मंत्री पलानीस्वामी ने संबोधित किया था. इस ग्रीनफील्ड हाईवे के खिलाफ रातोंरात गुस्सा भड़क पड़ा, क्योंकि इसके बनने से उपजाऊ कृषि भूमि, जल निकायों और जंगल की बड़े पैमाने पर क्षति होने वाली थी.

इन आक्रोशित प्रतिवादकारियों ने बताया कि इस परियोजना की व्यावहारिकता स्थापित नहीं हो सकी थी, तत्संबंधी रिपोर्ट में अनेक झूठों का सहारा लिया गया था और स्थापित मानदंडों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए मनमाने तौर पर हड़बड़ी में यह परियोजना संकल्पित की गई थी और इसे जबरन लागू किया जा रहा था. 10,000 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना को आनन-फानन में स्वीकृत कर लिया गया था. जनता के बड़े हिस्से के मन में इसके खिलाफ विक्षोभ पैदा हुआ इसीलिए इसके प्रतिवाद में भारी तादाद में जनता गोलबंद हो गई. यह फैसला इसलिये भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि न केवल याचिकाकर्ताओं के कई आरोपों को सही ठहराया गया, बल्कि उसमें कृषि, पर्यावरणीय हित बनाम आर्थिक वृद्धि तथा जन-प्रतिवादों के प्रति पुलिस की अंधेरगर्दी के बारे में भी कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की गई हैं.