मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की लड़कियों को न्याय दिलाने तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग को लेकर आयोजित 8 मार्च की महिला हड़ताल में हजारों की तादाद में महिलाएं, छात्राएं आज पूरे बिहार में सड़क पर उतरीं.

पटना में ऐपवा, आइसा तथा आरवाइए के बैनर तले सैकड़ों महिलाओं-छात्राओं ने बु( स्मृति पार्क से कारगिल चौक तक मार्च निकाला. शहर की महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में हड़ताल में हिस्सा लिया. इसका नेतृत्व ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, प्रो. भारती एस कुमार, अनिता कुमारी, मधु, अनुराधा आदि महिला नेताओं ने किया. हड़ताल के दौरान महिलाएं नीतीश कुमार के इस्तीफा देने, बिहार के सभी आश्रय गृहों की जांच कराने और आश्रय गृह कांड को दिए गए राजनीतिक संरक्षण की जांच कराने की मांग कर रही थीं.

सभा की शुरूआत में गीत-नाट्य टीम ‘हिरावल’ की प्रीति प्रभा के नेतृत्व में नेहा, निक्की और पूनम ने गोरख पांडेय का मशहूर गीत ‘गुलमिया अब हम नाहीं बजइबो’ प्रस्तुत किया. ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव ने कहा कि आज पूरे बिहार में महिलायें नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग पर सड़कों पर हैं. एक तरफ जहां नीतीश शासन में बच्चियों का यौन शोषण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर स्कीम वर्कर महिलाओं के साथ भी दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है. हड़ताल में आशाकर्मियों, रसोइयों, आंगनबाड़ी व पीएमसीएच की नर्सों ने भी हिस्सा लिया.

प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि केंद्र और राज्य की वर्तमान सरकारों द्वारा महिलाओं के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है. दरअसल ये सरकारें समाज में महिलाओं को निचले स्तर पर धकेलने में लगी है. उनके पास महिलाओं के लिए किसी प्रकार का इज्जत और सम्मान नहीं है. ये महिलाओं को बराबरी पर नहीं देखना चाहती हैं.

सभा को संबोधित करते हुए आइसा के राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरभ ने कहा कि इस सरकार में एक तरफ महिलाओं पर हिंसा और बलात्कार की घटनाएं बेतहाशा बढ़ रही हैं, नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है, महिलाओं के शिक्षा और स्वास्थ्य का इंतजाम नहीं है. दूसरी तरफ सरकार इनके नाम पर राजनीति करने में बड़ी बेशर्मी के साथ तल्लीन है.

आरवाइए  के राज्य सचिव सुधीर ने कहा कि शासक वर्गीय पार्टियां महिलाओं के नाम पर राजनीति करने के साथ-साथ सैनिकों की शहादत पर भी वोट बैंक की राजनीति कर रही है. हम मांग करते हैं कि सैनकों की शहादत पर राजनीति बंद हो. साथ ही, बिहार की मासूम, गरीब-दलित, अनाथ बच्चियों पर अन्याय, बलात्कार और हिंसा के मामले में सरकार अपनी जबाबदेही लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना इस्तीफा दें. आंगनबाड़ी नेता गीता देवी ने भी सभा को संबोधित किया.

इस अवसर पर अलका वर्मा, ‘ईजाद’ संस्था की शमीमा परवीन, विभा गुप्ता, माधुरी गुप्ता, पूनम कुमारी, प्राची वर्मा, रेखा मेहता, मधु मिश्रा, उर्मिला कर्ण, केडी विद्यार्थी, मंजु यादव, मीना देवी, रेखा देवी, साधुशरण, शशिरंजन, विकास यादव, नीतू, विद्या, नीलम देवी, आबदा खातून, शशि देवी आदि मौजूद थीं.

मुजफ्फरपुर में महिलाओं ने ऐपवा के बैनर तले मार्च निकालकर पूरे शहर का भ्रमण किया. हरिसभा चौक स्थित जिला कार्यालय में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष शारदा देवी ने कहा कि महिलाओं पर हिंसा व बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर से ध्यान हटाने के लिए उन्माद की राजनीति की जा रही है. लेकिन बिहार की महिलाओं ने ठान लिया है कि वे मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में मुख्यमंत्री से इस्तीफा लेकर रहेंगी. सभा को शर्मिला देवी, चंद्रकला देवी, शीला देवी, रानी शर्मा, कुसुमी देवी आदि ने भी संबोधित किया.

गया में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग को लेकर एक जुलूस निकाला गया जो गांधी मैदान से कचहरी रोड, जीबी रोड, केपी रोड, चैंक रमना रोड होते धर्म सभा भवन पहुंचा. जुलूस का नेतृत्व ऐपवा जिला सचिव रीता वर्णवाल, बरती चौधरी, रिंकू आदि ने किया.

बेतिया में ऐपवा, आइसा, आरवाइए द्वारा आहूत महिला हड़ताल के दौरान सोवा बाबू चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. इस मौके पर आइसा नेत्री निकिता कुमारी ने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह उत्पीड़न कांड के दोषियों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री शुरू से ही प्रयासरत रहे हैं. सीबीआई एसपी के स्थानान्तरण की चाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार पर अविश्वास कर मुकदमे को दिल्ली के साकेत विहार कोर्ट में सुनवाई करने का आदेश दिया. अब पॉक्सो कोर्ट ने नीतीश कुमार के खिलाफ जांच का आदेश दिया है जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए काफी शर्मनाक है. सही ढंग से जांच के लिए मुख्यमंत्री का गद्दी पर से हटना जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि आज युद्धोन्माद के दौर में बच्चियों की न्याय की आवाज को दबाया जा रहा है. न्याय की इस आवाज का गला घोंटने की नीतीश सरकार की साजिश को ऐपवा और आइसा सफल नहीं होने देंगे. आइसा नेत्री ने युद्ध नहीं, शांति और भाईचारा चाहिए का नारा दिया और कहा कि मजदूरों-किसानों के बेटों की बलि देकर, महिलाओं को विधवा बना कर मोदी सरकार वोटों की राजनीति कर रही है. इस कार्यक्रम की अगुवाई आरवाईए के सुरेन्द्र चौधरी, ऐपवा की सोना देवी, सकीना खातून व अन्य नेताओं ने किया.

भागलपुर में स्थानीय घंटाघर चौक पर प्रदर्शन किया. झंडे व बैनर से लैस महिलाओं ने घंटों अपनी मांगों के समर्थन में और सरकार व पितृसत्ता के विरोध में नारे बुलंद किए. उन महिलाओं ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप कांड मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग के साथ महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान व बराबरी के अधिकार की गारंटी के लिए संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया.

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही ऐपवा की जिला अध्यक्ष उषा शर्मा व जिला सचिव रेणु देवी ने कहा कि आज भी महिलाएं बेखौफ नहीं हैं. सुरक्षा, सम्मान व हर क्षेत्र में समान भागीदारी के लिए अभी लम्बी लड़ाई लड़ी जानी है. दोनों नेत्रियों ने कहा कि बिहार को शर्मसार कर देने वाले मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार कांड में पॉक्सो कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जांच के आदेश बाद उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं हैं. बच्चियों को न्याय व निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी है कि मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा दें. कार्यक्रम में ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस के शर्मा और इनौस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य गौरीशंकर राय भी शामिल हुए.

समस्तीपुर में महिला दिवस पर आइसा- इनौस-ऐपवा  द्वारा घोषित महिला हड़ताल के समर्थन में शहर के मालगोदाम चौक से अपने-अपने हाथों में झंडे, बैनर लेकर कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला. जुलूस मुख्य मार्गां से नारे लगाकर गुजरते हुए ओवरब्रिज चौराहा पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता ऐपवा अध्यक्ष बंदना सिंह और संचालन आरवाइए एवं आइसा जिला अध्यक्षों राम कुमार व सुनील कुमार ने संयुक्त रूप से किया.

  ऐपवा जिला अध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि महिला दिवस बंद कमरे में चाय-नाश्ता, गपशप कर रश्म अदायगी करने का दिन नहीं है. यह महिलाओं की मान-सम्मान और हक-अधिकार की लड़ाई को सड़क से सदन तक तेज करने का संकल्प लेने का दिन है. वक्ताओं ने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेपकांड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी जांच के दायरे में शामिल है. उनके मुख्यमंत्री रहते निष्पक्ष जांच असंभव है. उन्हें इस्तीफा देकर जांच का सामना करना चाहिए. सभा को नीलम देवी, राजो देवी, कंचन देवी, फूलो देवी, राजकुमारी देवी, कृष्ण कुमार, मुकेश कुमार गुप्ता, मनोज साह के अलावा पफूलबाबू सिंह, जीबछ पासवान व प्रो. उमेश कुमार आदि माले नेताओं ने भी संबोधित किया. नवादा में अंतर्राराष्टीय महिला दिवस के अवसर पर मार्च निकालकर दंगा नफरत की राजनीति बंद करने व युद्ध नहीं, शांति चाहिए का नारा बुलंद किया गया. पटना के अलावा भोजपुर, जहानाबाद, अरवल, दरभंगा आदि जिला केंद्रों पर भी हड़ताल आयोजित किया गया.