वर्ष - 28
अंक - 13
23-03-2019

सीतामढ़ी की डुमरा पुलिस हाजत में दो मुस्लिम युवकों की बर्बर तरीके से पिटाई के कारण हुई मौत नें साबित कर दिया है कि बिहार में कहीं से भी कानून का नहीं, बल्कि पुलिस राज चल रहा है. भाजपा द्वारा पूरे देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा का जो माहौल बनाया गया है, उसी का नतीजा है कि अल्पसंख्यकों को कहीं मॉब लिंचिंग का शिकार होना पड़ रहा है तो कहीं हाजत में ही उनकी हत्या कर दी जा रही है. बिहार में अपराध व हत्याएं आम बात हो गई हैं, तमाम कानूनी प्रक्रियाओं को अब प्रशासन व पुलिस ने ही किनारे लगा दिया है. बिहार में आज पूरी तरह पुलिस व अपराधियों का आतंक राज चल रहा है.

जांच-पड़ताल से साबित होता है कि तसलीम व गुरफान की पुलिस हाजत में हत्या की गई. 5 मार्च की आधी रात में दर्जनों पुलिस जवान दरवाजा तोड़कर घर में घुसे. दोनों को पकड़कर पीटा और फिर थाने में भी उनकी बर्बरता से पिटाई की गई. दोनों युवकों की हत्या में भाजपा-जदयू के बड़े नेताओं के हाथ होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

मृतक तसलीम अंसारी के परिजन सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने बताया कि 5 मार्च की रात करीब 1 बजे चकिया थाने के इंस्पेक्टर संजय कुमार के नेतृत्व में 20-25 पुलिसकर्मियों ने घर का दरवाजा खटखटाया. बाहर से वे कह रहे थे कि तसलीम से मिलना है. तसलीम घर पर नहीं थे. वे मदरसा में सोए हुए थे. वे मदरसा के चौकीदार थे. इसके बावजूद पुलिस दरवाजा तोड़कर घर में घुस गई और तलाशी लेने लगी. घर से 3 मोबाइल पुलिस ने उठा लिया. फिर वह मदरसा गई और वहां भी तोड़-फोड़ कर मदरसे के अंदर दाखिल हो गई और तसलीम को उठा लिया. ग्रामीणों ने बताया कि उसपर कुछ मुकदमे अवश्य थे. वे अरब जाने के लिए पासपोर्ट भी बना चुके थे और होली के बाद वहां जाने वाले थे.

सुबह तसलीम के घर वाले चकिया थाना पहुंचे लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं बताया गया. दूसरे स्रोत से पता चला कि तसलीम को  सीतामढ़ी के डुमरा थाने की पुलिस रात में ही लेकर चली गई है. 6 मार्च की दोपहर में जब ये लोग डुमरा पहुंचे तो थाने पर महज 2-3 महिला पुलिसकर्मी थीं जिनसे कोई जानकारी नहीं मिली. जब ये लोग सदर अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि यहीं पर दोनों युवक हैं और इलाज चल रहा है. अस्पताल में 20-25 पुलिसकर्मी तैनात थे लेकिन अंदर किसी को नहीं जाने दे रहे थे. बाद में डुमरा थानाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि दोनों की मौत हो गई है और पोस्टमार्टम के बाद लाश मिलेगी. यह सब मीडिया वालों को भी खबर मिल गई और वे लोग पहुंचने लगे. वरीय पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचने लगे और डीएसपी, एसपी और आईजी की उपस्थिति में परिजनों के बयान दर्ज कराए गए.

उसी रात गांव के दूसरे टोले से पुलिस ने 27 वर्षीय गुरफान को उठा लिया. गुरफान पहले अरब में रहते थे और विगत 4 महीने से गांव में रह रहे थे. उनपर कोई मुकदमा भी नहीं था.  फिर भी पुलिस ने उन्हें उठा लिया. रात्रि में गिरफ्तार कर उन्हें अज्ञात स्थान पर रखा गया. पुलिस ने यह कहकर उठाया कि उनसे कुछ पूछताछ करनी है. बार-बार प्रयास के बावजूद पुलिस ने परिजनों को गिरफ्तारी के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं दी.

गुरफान के चाचा सनौवर आलम ने रात में ही थाने पर जाकर मालूम करना चाहा लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चला. बाद में इंस्पेक्टर के करीबी पप्पु कुशवाहा से मिलकर मामले की जानकारी लेनी चाही. 12 बजे के लगभग सनौवर आलम को बताया गया कि उनका भतीजा डुमरा थाना, सीतामढ़ी में पुलिस हिरासत में है. वहां जाने पर लोगों को बताया गया कि दोनों युवक अब सदर अस्पताल में हैं. वहां पहुंचने पर पता चला कि दोनों युवकों की मृत्यु हो चुकी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और डेड बॉडी देखने से साफ-साफ पता चलता है कि दोनों युवकों की पीट-पीट कर बेदर्दी से हत्या की गई. उनके पैरों में कील ठोकने की निशानें थीं और शरीर जगह-जगह से जला हुआ भी था.

सीतामढ़ी के रून्नी सैदपुर में कुछ दिन पहले मोटरसाइकिल लूट कांड हुआ था, पुलिस का कहना है कि उसी मामले में वह दोनों युवकों से पूछताछ करने ले गई थी. लेकिन उन दोनों की हत्या कैसे और क्यों हुई, इसका कोई जवाब पुलिस के पास नहीं है. इस मामले में चकिया, डुमरा व रून्नी सैदपुर के थानों और पप्पु कुशवाहा जैसे जदयू के स्थानीय नेताओं की मिलीभगत स्पष्ट रूप से दिखती है. एक जिले से दूसरे जिले के थाने में भेजने के बावजूद कहीं भी किसी भी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. इस पर पूर्वी चंपारण के एसपी का बयान है कि वे इस मामले में क्या कर सकते हैं.

इसके पहले भी सीतामढ़ी के रून्नी सैदपुर की हाजत में माले नेता अशोक साह की हत्या कर दी गई थी. हाजत में हत्या के मामले में सीतामढ़ी के थाने पहले ही बदनाम रहे हैं. लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. यह बिहार में तथाकथित सुशासन का असली चेहरा है.

दबाव में डुमरा थाना प्रभारी व अन्य पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से ये लोग रून्नी सैदपुर में समर्पण करने गए, जहां उन्हें भगा दिया गया. इस मामले में रून्नी सैदपुर के थाना प्रभारी को भी सस्पेंड किया गया है लेकिन यह बहुत अपर्याप्त कार्रवाई है. इस मामले में बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

स्थानीय सांसद, विधायक और मुखिया तीनों भाजपा से हैं, लेकिन इनमें कोई भी पीड़ितों का हाल जानने तक नहीं आए. ग्रामीणों ने बताया कि उक्त मोटरसाइकिल लूट कांड में 10 लोगों को पुलिस ने पकड़ा था जिसमें यही दो मुस्लिम थे. ऐसा लगता है कि पुलिस ने पूरी तरह सांप्रदायिक भावना से ग्रसित होकर काम किया और सचेत रूप से मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी. अब इस घटना की लीपापोती की नियत से विसरा जांच की बात हो रही है अबकि पोस्टमार्टम से स्पष्ट है कि दोनों युवकों की मौत निर्मम पिटाई की वजह से हुई है. उनके पूरे शरीर पर जख्म पाए गए हैं.

जांच टीम ने पूरी घटना की सच्चाई सामने लाने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने के लिए मामले की न्यायिक जांच कराने, जांच प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिशों व साजिशों पर रोक लगाने, चकिया थाना प्रभारी और अन्य दोनों थाना प्रभारियों व दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने, गैरजिम्मेवाराना बयान देने के लिए पूर्वी चंपारण व सीतामढ़ी के एसपी को बर्खास्त करने, मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपया का मुआवजा तथा दोनों परिवारों में एक-एक परिजन को सरकारी नौकरी देने, मोटरसाइकिल लूट कांड में मारे गए मोटरसाइकिल सवार के परिजन को भी मुआवजा व नौकरी देने तथा बिहार के मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार परको अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की.

प्रतिवाद के दबाव में दर्ज हुई प्राथमिकी

भाकपा(माले) और इंसाफ मंच ने इस घटना के प्रतिवाद में 12 मार्च को राज्यव्यापी विरोध घोषित किया. दरभंगा में 12 मार्च 2019 को इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष नेयाज अहमद और शिवन यादव के नेतृत्व में प्रतिवाद मार्च निकाला गया। प्रतिवाद मार्च बाजार समिति चौक होते हुए शिवधारा चौक पर जाकर सभा में तब्दील हो गया।

सभा को संबोधित करते हुए नेयाज अहमद ने इस हत्या की न्यायिक जांच कराने तथा चकिया, रूनीसैदपुर व डुमरा थाना के थानाध्यक्षों व अन्य पुलिस पदाधिकारियों पर 302 का मुकदमा दर्ज कर उन्हें अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की. सभा की अध्यक्षता मोहम्मद असलम व मोहम्मद जमशेद ने की। सभा को अशोक पासवान, अमित पासवान, मुजाहिद हुसैन, पप्पु पासवान, खेग्रामस नेत्री रशीदा खातून, सनीचरी देवी ने भी संबोधित किया।

सीतामढ़ी शहर के मेहसौल चौक पर विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से ध्रना-प्रदर्शन आयोजित कर पुलिस हाजत के हत्या मामले के सभी दोषियों को अविलंब गिरफ्तार करने, जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और डीएसपी पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने तथा मृतक के परिजनों को मुआवजा व नौकरी देने की मांग की. ध्रना को भाकपा;मालेद्ध व इंसापफ मंच के नेता का. नेयाज अहमद सिद्धिकी ने भी संबोधित किया. मुजफ्फरपुर समेत कई अन्य जगहों में भी प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित हुए.