मोदी की ‘विदेश नीति सफलता’ के झूठे विमर्श को बेनकाब करें

स्वतंत्रता! समानता! भाईचारा! लोकतंत्र के इस उद्घोष से उत्प्रेरित होकर फ्रांस की जनता 1789 मेें राजतंत्रीय दमन के घृणित दुर्ग के खिलाफ विजयी क्रांति में उठ खड़ी हुई थी. पेरिस के बास्तील कैदखाने पर हुए प्रचंड आक्रमण ने लोकतंत्रीय गणतंत्रों के आधुनिक युग के ऐतिहासिक आगमन का सूत्रपात किया था. एक सौ साठ साल बाद स्वतंत्रता की यही भावना गणतंत्रीय भारत के संविधान की बुनियाद बनी, जब राजनीतिक सत्ता ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के हाथों से निकलकर भारतीयों के हाथ में आई थी.

‘प्रतिक्रांति के केंद्र में न्यायपालिका खड़ी थी’ : मोदी के भारत में भारतीय न्यायपालिका के 9 साल

- अवनि चोकशी व क्लिफ्रटन डी रोजारियो

सहूलियत और जरूरत के मुताबिक प्रशासनिक कार्रवाइयों से अलग अदालती फैसले कानून पर आधारित होते हैं, अर्थात सही और गलत पर, और हमेशा चर्चा की सुर्खियों में रहते हैं. कानून शायद राजनीतिक संघर्षों के सभी हथियारों में सबसे घातक है, क्योंकि वह हक और इंसाफ के आभामंडल से घिरा  है. 
- फ्रांज न्यूमैन, बेहेमोथ

विपक्षी एकता के सामने चुनौतियां

आज भारत में कार्यपालिका की लगातार आक्रामकता से चल रहे शासन ने विधयिका को कमजोर कर इसे कानून बनाने के महज वफादार औजार में तब्दील कर दिया है. न्यायपालिका की तरफ से आने वाले किसी भी सुधारात्मक उपाय को कार्यपालिका के अध्यादेशों के जरिये तिरस्कारपूर्वक खारिज कर दिया जा रहा है. लोकतंत्र का चौथा खंभा कहे जाने वाले मीडिया को कारगर तरीके से एक रजामंद सहयोगी के बतौर बदल गया है जिसका काम केंद्र सरकार के एजेंडे की वकालत करना, उसकी व्याख्या करना और सर्वोच्च नेता की शान में विज्ञापन करना भर रह गया है.

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 पर पुनर्विचार

ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस

[ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) संविधान के मूल मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानूनी पेशेवरों का एक प्रतिबद्ध अखिल भारतीय संगठन है. आइलाज अपनी स्थापना  काल  ही से, खास तौर पर कानूनी पहलुओं का विश्लेषण करते हुए, सामाजिक महत्व के मुद्दों को उठाता और आंदोलन करता रहा है.