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नई दिल्ली, 13 सितंबर 2020

उत्‍तर-पूर्वी दिल्‍ली में फरवरी में हुई हिंसा के मामले में दिल्‍ली पुलिस की तथाकथित जांच दिनोंदिन विरोधियों को निशाना बनाने की कार्रवाई बनती जा रही है।

अभी तक की सभी चार्जशीट में दिल्‍ली पुलिस ने कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर व दूसरे भाजपा नेताओं द्वारा सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल लोगों और मुसलमान समुदाय के खिलाफ हिंसा फैलाने के स्‍पष्‍ट सबूत होने के बावजूद कर्रवाई नहीं की है। पिछले कुछ महीनों में दिल्‍ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्‍लामिया और जेएनयू के बहुत से छात्रों व पूर्व छात्रों को गिरफ्तार किया। इसकी चार्जशीट में फिल्‍मकार राहुल रॉय, प्रोफेसर अपूर्वानंद, छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद, आइसा नेता कंवलप्रीत कौर के साथ-साथ आइसा, जेसीसी और पिंजरा तोड़ जैसे संगठनों व मंचों को हिंसा के षड्यंत्र में शामिल और हिंसा के लिए जिम्‍मेदार बताया गया है। गिरफ्तार किये गये लोगों में से किसी के तथाकथित बयान में भाकपा(माले) पोलित ब्‍यूरो सदस्‍य कविता कृष्‍णन, सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता ऐनी राजा और स्‍वाराज अभियान के नेता योगेन्‍द्र यादव समेत अनेक कार्यकर्ताओं का नाम होने की बात कही जा रही है।  

कल एक रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्‍ली सरकार द्वारा दाखिल सप्‍लीमेंट्री चार्जशीट में ज्‍यादातर पिंजड़ा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवल और देवांगना कलीता के ''खुलासों'' पर आधारित है। ये तथाकथित ''खुलासे'' हिरासत में करवाई गई स्‍वीकारोक्तियां हैं और अदालत में इन्‍हें सबूत के बतौर नहीं पेश किया जा सकता। नताशा और देवांगना ने ऐसे किसी भी वक्‍तव्‍य पर दस्‍तखत करने से इंकार किया है। इन वक्‍तव्‍यों की एक जैसी और खराब भाषा यह दिखाने के लिए काफी है कि ये दिल्ली पुलिस द्वारा तैयार किये गये वक्‍तव्‍य हैं। इनके जरिये सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी और प्रसिद्ध अर्थशास्‍त्री जयति घोष के नाम को भी शामिल किया गया है।

मोदी सरकार 'दंगों की जांच' के नाम पर दिल्‍ली पुलिस का इस्‍तेमाल सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराने के लिए कर रही है। वे इसके जरिये वाम और जनवादी आंदोलन को डराना व चुप कराना चा‍हते हैं, लेकिन इसका ठीक उल्‍टा असर होगा। एक पर हमला हम सब पर हमला है। हम सीएए विरोधी उस हर व्‍यक्ति के साथ खड़े हैं जिसे पुलिस सजा दिलाने में लगी हुई है। हम भारत के लोग साफ तौर पर देख पा रहे हैं कि दिल्‍ली पुलिस बड़ी बेशर्मी से हर उस व्‍यक्ति को निशाना बनाने में लगी हुई है जो शांति और लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते हैं।

सरकार बुरी तरह असफल साबित हुई है। इसने कोविड से सबसे ज्‍यादा प्रभावित दुनिया के देशों के बीच भारत को खड़ा कर दिया है, इसने अर्थव्‍यवस्‍था और लोगों की जीविका को तबाह कर दिया है, किसानों और मजदूरों के अधिकारों पर हमला किया है और भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को खत्‍म करने पर आमादा है। सरकार अपने अपराधों से लोगों का ध्‍यान हटाने के लिए अपने आलोचकों पर फर्जी आरोप लगा रही है और पुलिस व जांच एजेंसियों का इस्‍तेमाल बेगुनाहों को जेल में ठूंसने के लिए किया जा रहा है।

भाकपा (माले) हर फर्जी मुकदमे और फर्जी आरोप के खिलाफ लोकतंत्र के लिये संघर्षरत साथियों के साथ खड़ी है। हम लड़ेंगे! हम जीतेंगे!!   

- दीपंकर भट्टाचार्य,  
महासचिव,  
भाकपा (माले) लिबरेशन