अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर मसविदा प्रस्ताव

आज हम इतिहास के नाज़ुक मोड़ पर खड़े हैं। पूरी दुनिया में फ़ासीवाद उभार के दौर में है। कई देशों में फ़ासीवादी सरकारें सत्तारूढ़ हैं। साथ ही उनके प्रतिवाद आंदोलन भी उभर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर ब्राज़ील में बोल्‍सोनारो की सत्ता के ख़िलाफ़ एक सफल संघर्ष को देखा जा सकता है। नव उदारवाद के विनाशकारी पहलू अब और ज़्यादा साफ़ तौर पर हमारे सामने हैं और अंतर्राष्ट्रीय पूँजीवादी व्यवस्था के अंतर्विरोध भी ज़्यादा स्पष्ट हुए हैं। पिछले दशक में नव उदारवादी प्रयोग को लागू करने वाले घाना, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश पूरी आर्थिक तबाही के दौर से गुजर रहे हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय

फासीवाद विरोधी जनप्रतिरोध का परिप्रेक्ष्य, दिशा एवं कार्यभार पर मसविदा प्रस्ताव

1. मोदी सरकार को सत्ता में आए आठ से ज्यादा साल हो चुके हैं. अगर इस सरकार का पहला कार्यकाल आगे आने वाली चीजों में बारे में अग्रिम चेतावनी था, तो दूसरे कार्यकाल में चौतरफ़ा हमले तेजी से बढ़े हैं. गृहमंत्री अमित शाह और सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की सरपरस्ती में राज्य लगातार ज्यादा दमनकारी और प्रतिहिंसक होता जा रहा है।  सरकारी संरक्षण वरदहस्‍त पाए उपद्रवी राज्य, निजी सेनाओं और स्वयंभू निगरानी गिरोहों के भार के नीचे हमारा संवैधानिक लोकतंत्र पिस रहा है.

पर्यावरण और जलवायु संकट पर मसौदा प्रस्ताव

1. आज हम एक ऐसे वैश्विक पर्यावरण और जलवायु संकट के दौर में रह रहे हैं, जिसकी प्रत्यक्ष अनुभूतियाँ लगातार बढ़ते ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग और अन्य तमाम रूपों  में हो रही हैं. 28 जुलाई, 2022 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने “स्वच्छ, स्वस्थ, और पोषणीय वातावरण” हासिल करने का सार्वजनीन अधिकार इस संदेश के साथ स्वीकार किया था कि कोई भी हमसे प्रकृति, स्वच्छ हवा और पानी, दूसरे शब्दों में, सुसंगत जलवायु नहीं छीन सकता, कम से कम बिना संघर्ष के तो बिल्कुल भी नहीं.