कार्यवाही नहीं तो क्या इनको बेटी बचाओ अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाएंगे मोदी जी?

देश के लिए कॉमनवैल्थ से लेकर ओलंपिक खेलों तक में मेडल लाने वाले पहलवान, दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हुए हैं. बेटी बचाओ का नारा देने वाली भाजपा की केंद्र सरकार, उन बेटियों के साथ खड़े होने को तैयार नहीं है, जिन्हें ओलंपिक से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने घर बुलाकर, ‘अपने परिवार की’ बेटी करार दिया था.

उत्तरी कोयल नहर में गाद की सफाई के लिए किसानों का जुझारू आंदोलन

1970 में, यानी जब बिहार और झारखंड एक था, डाल्टेनगंज (तत्कालीन पलमू) जिले में उत्तरी कोयल नदी पर कूटकू डैम (मंडल डैम) का निर्माण हुआ था. सरकार की योजना थी कि नहर के जरिए मुंगेर जिला तक पानी पहुंचाया जायेगा. नहर की खुदाई का काम 1985 तक पूरा कर लिया जायेगा.

उत्तराखंड में सांप्रदायिक नफरत की जड़ें गहरी करने की कोशिशें

पूरे देश में जो मौजूदा निजाम है, सांप्रदायिक विभाजन और घृणा उसका एक अनिवार्य तत्व है. निरंतर ऐसे प्रयास किए जाते हैं, जिससे सांप्रदायिक घृणा का फैलाव निरंतर होता रहे. उसका स्थायी राग है कि बहुसंख्यक खतरे में हैं! कोई पलट कर पूछे तो कि देश और अधिकांश प्रदेशों में भी तुम, बहुसंख्यक धर्म के स्वयंभू ठेकेदार सत्ता में हो तो उसके बावजूद उस धर्म पर यह तथाकथित खतरा क्यूं मंडरा रहा है? तुम्हारे सत्ता में रहने से यदि उस धर्म पर खतरा बढ़ रहा है, जिसके तुम स्वयंभू ठेकेदार हो तो इस खतरे से उबरने का उपाय तो तुम्हारी सत्ता से बेदखली ही है!

आकांक्षा दुबे के बहाने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री पर कुछ सवाल

- कुमुदिनी पति

वाराणसी के चर्चित आकांक्षा दुबे कांड में नामजद आरोपी समर सिंह को गिरफ्तार करने में उत्तर प्रदेश पुलिस को दो हफ्ते का समय लग गया जबकि वाराणसी प्रधानमंत्री का अपना चुनाव क्षेत्रा है. इसी बीच अफवाहों का बाजार गर्म होता रहा और सोशल मीडिया पर तमाम सनसनीखेज वीडियो साझा किये जाते रहे जिनमें से कई तो खौफनाक थे.

कनार्टक: आरक्षण में भी विभाजनकारी राजनीति

– क्लिफ्टन डी रोजारियो

बासवाराज बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल की पिछली बैठक भी साम्प्रदायिक और जातिवादी रास्ते पर आगे बढ़ी. यह कर्नाटक सरकार की पहचान बन गयी है.

कानूनी नुक्ता तो पूरा हुआ, पर क्या न्याय हुआ, मी लाॅर्ड ?

बीते दिनों उच्चतम न्यायालय ने दो पुनर्विचार याचिकाओं और कुछ हस्तक्षेप प्रार्थना पत्रों को खारिज कर दिया. उक्त पुनर्विचार याचिकाएं, उच्चतम न्यायालय के 7 नवंबर 2022 के फैसले पर पुनर्विचार हेतु लगाई गयी थी.

गुजरात जनसंहार: सच का हौवा पीछा करता रहेगा

17 जनवरी के दिन बीबीसी ने दो खंडों के डाक्युमेंटरी ‘इंडिया: द मोदी क्योश्चन’ का पहला एपिसोड प्रसारित किया. इस डाक्युमेंट्री में गोधरा ट्रेन अगलगी के ठीक बाद गुजरात में हुए भयावह जनसंहार के समय वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री के बतौर मोदी की भूमिका को मुख्य विषयवस्तु बनाया गया है. इस फिल्म को भारत में प्रसारित नहीं करने दिया गया, और मोदी सरकार ने पफौरन ही ट्वीटर को इस वीडियो से जुड़े सभी ट्वीट और लिंक को हटाने का निर्देश दिया और यूट्यूब से कहा कि वह इस वीडियो अथवा इसके क्लिप्स को अपलोड न करे.

हिंडेनबर्ग बवंडर में फंसा अडानी

जब मोदी सरकार दो-खंडों वाली बीबीसी डाक्युमेंट्री “मोदी क्योश्चन” के असर से जूझ ही रही थी, तभी मोदी के सबसे करीबी संश्रयकारी गौतम अडानी हिंडेनबर्ग बवंडर में फंसते नजर आए. 24 जनवरी को, जब पूरी दुनिया उत्सुकतापूर्वक बीबीसी डाक्युमेंट्री के दूसरे एपिसोड की प्रतीक्षा कर रही थी, अमेरिका-आधरित ‘हिंडेनबर्ग रिसर्च’ अपनी रिपोर्ट ‘अडानी ग्रुप’ को लेकर सामने आ गया.

जाति, हिंदुत्व और फासीवाद

– आकाश भट्टाचार्य

भगवा का भेद खोलना

जुलाई 2022 के बाद से ही 64 पृष्ठों की एक किताब प्रसारित की जा रही है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर मुकम्मल दृष्टि डाली गई है. तीन खंडों में विभक्त इस पुस्तक में आरएसएस की संपूर्ण आलोचना प्रस्तुत की गई है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और श्रीराम सेना, बजरंग दल व अन्य तमाम ‘स्वायत्त’ गिरोहों की भगवा राजनीति के साथ संघ के समग्र राजनीतिक-वैचारिक कार्यक्रम के जुड़ाव को उजागर किया गया है.